पैडवूमेन IAS सईद सहरीश असगर

जम्मू-कश्मीर की पैडवूमेन IAS सईद सहरीश असगर पढ़ा रही हैं स्वच्छता का पाठ

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नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के बडगाम में कार्यरत एक महिला आईएएस ऑफिसर हैं। वह अपनी रूटीन की प्रशासनिक ड्यूटी के दौरान ही लड़कियों को पीरियड़स के दौरान जागरूक करने का काम भी कर रही हैं। महिला आईएएस ऑफिसर का नाम सईद सहरीश असगर है । बता दें कि 2013 में यूपीएससी में 23 वीं रैंक हासिल की थी। इसके साथ ही जम्मू- कश्मीर की पहली मुस्लिम महिला आईएएस ऑफिसर बनने का कीर्तिमान स्थापित किया था। इसलिए अगर उनको पैडवूमेन भी कहें तो कोई हर्ज नहीं होगा।

गले में अक्सर रहती है खराश, तो बिल्कुल न करें इग्नोर…. 

बीते सोमवार को उन्होंने जिला मुख्यालय में पहली-महिला सर्व सम्मति का आयोजन किया। पीरियड्स के दौरान लड़कियां जिन समस्याओं का सामना करती हैं, उनके बारे में बताया। उन्होंने बताया कि इस दौरान लड़कियां स्कूल नहीं जाती हैं। उनको पर्सनल हाइजीन की चिंता रहती है। इस वजह से लड़कियों की स्कूल ड्रॉप आउट करने की दर में बढ़ोत्तरी होती है।

असगर ने कहा कि श्रीनगर से सटे बडगाम जिले के सभी उच्चतर माध्यमिक स्कूलों और कॉलेजों में सैनिटरी नैपकिन डिस्पेंसर और इंसीनरेटर लगाए जाएंगे। जिला प्रशासन उन लड़कियों पर अधिक ध्यान दे रहा है जिन्होंने पीरियड्स के दौरान पर्सनल हाइजीन की चिंताओं के कारण स्कूल से ड्रॉप आउट कर दिया है। असगर के अनुसार वर्तमान ड्रॉपआउट दर 20 प्रतिशत के करीब है।

असगर ने मासिक धर्म की स्वच्छता के बारे में खुलकर बातचीत करने की बात कही। उन्होंने कहा कि वह इस समझ को आगे बढ़ाने की उम्मीद कर रही हैं कि जो चीज पूरी तरह से नेचुरल और नॉर्मल है, उसके बारे में बात करने में क्या समस्या होनी चाहिए।

उन्होंने आगे बताया कि इसके लिए सरकार की ओर से कोई अलग बजट नहीं है। इस काम के लिए फंड वह राज्य के ग्रामीण विकास विभाग और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉंसिबिलिटी ( सीएसआर) से मैनेज करती हैं।

जितनी स्वाद में अच्छी है भिंडी उतनी ही है सेहत के लिए फायदेमंद 

ये डिस्पेंसर और इंसीनरेटर जिले के 106 स्कूलों, पांच डिग्री कॉलेजों और एक आईटीआई में रखे जाएंगे। इनके अलावा, डिस्पेंसर को डीसी के कार्यालय के साथ-साथ श्रीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भी रखा जाएगा जो जिले में ही पड़ता है। उन्होंने कहा कि जब जून 2018 में डीसी के रूप में उन्होंने पदभार संभाला तो कई स्कूलों में शौचालय टूटे हुए थे । इस वजह से लड़कियां स्कूल नहीं आती थीं।

असगर कहती हैं कि हमें एक ऐसा समाज बनाने की कोशिश करनी होगी जहाँ महिलाएँ अपनी सेहत और स्वच्छता को लेकर चिंतित हों और इसमें शर्म महसूस न करें। यह सम्मान के साथ जीने का उनका अधिकार है। मासिक धर्म के कलंक को संबोधित करने की आवश्यकता है। हमें सार्वजनिक स्थानों पर टॉयलेट्स, डिस्पेंसर और इंसीनरेटर की आवश्यकता है जहां वे आराम महसूस कर सकें।

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