जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि गैर-मुस्लिम लोगों को बेटियों को सह-शिक्षा देने से सोचना चाहिए ताकि वो अनैतिकता की चपेट में न आएं।मदनी ने मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए कहा- खुद को धर्मनिरपेक्ष कहने वाले राजनीतिक दलों को इस अपराध के खिलाफ कानून बनाना चाहिए। मदनी ने कहा- अनैतिकता और अश्लीलता किसी भी धर्म की शिक्षा नहीं है। इनकी हर धर्म में निंदा की गई है, क्योंकि इनसे समाज में कदाचार फैलता है।
उन्होंने कहा- SC के सख्त निर्देश के बाद भी मॉब लिंचिंग की घटनाएं थम नहीं रही, क्या यह संभव है कि ऐसा करने वालों को राजनीतिक संरक्षण और समर्थन न मिला हो? मदनी के अनुसार, ‘‘ऐसी घटनाएं उस समय अचानक बढ़ जाती हैं, जब किसी राज्य में चुनाव होते हैं। यह बहुत चिंता की बात है।’’
उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में मुस्लिम समुदाय को सिर्फ शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। बताते चलें कि साल 2018 में अरशद मदनी गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि एक काम करो, गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिए कानून बनाओ, जिससे कि यह सुनिश्चित किया जा सके कि गाय और इंसान की जिंदगी दोनों ही सुरक्षित रहेंगी।
अपर मुख्य सचिव के निजी सचिव ने खुद को गोली मारी
उन्होंने भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या किये जाने (मॉब लिंचिंग) की घटनाओं को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि खुद को धर्मनिरपेक्ष कहने वाले राजनीतिक दलों को इस अपराध के खिलाफ कानून बनाने के लिए आवाज उठानी चाहिए। इनकी हर धर्म में निंदा की गई है क्योंकि इनसे समाज में कदाचार फैलता है। ऐसे में, मैं अपने गैर-मुस्लिम भाइयों से कहना चाहूंगा कि वे बेटियों को सह-शिक्षा देने से परहेज करें ताकि वो अनैतिकता से दूर रहें। उनके लिए अलग शिक्षण संस्थान स्थापित किए जाएं।”