नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जामिया में हुए विरोध प्रदर्शन मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताया है। इसके साथ ही पूछा कि प्रदर्शन के दौरान बसों को कैसे जलाया गया?
सुप्रीम कोर्ट ने ने यह भी पूछा कि दिल्ली में प्रदर्शन के दौरान बसों को कैसे जलाया गया?
बता दें कि कोर्ट ने सभी छह आरोपियों 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस के कथित अत्याचार संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को कहा कि राहत के लिये पहले हाईकोर्ट जाना चाहिए। कोर्ट ने ने यह भी पूछा कि दिल्ली में प्रदर्शन के दौरान बसों को कैसे जलाया गया?
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि हम तथ्य जानने में समय बर्बाद नहीं करना चाहते
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि हम तथ्य जानने में समय बर्बाद नहीं करना चाहते। आपको पहले निचली अदालत में जाना चाहिए। इससे पहले, जामिया विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों के संगठन के वकील ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार की रक्षा करनी चाहिए।
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पीठ ने कहा कि संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने जैसे अपराधों के लिए कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए
वहीं प्रदर्शनकारियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जय सिंह ने कहा कि एएमयू, जामिया के छात्रों के खिलाफ एक के बाद एक प्राथमिकी दर्ज की गई। इस पर पीठ ने कहा कि संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने जैसे अपराधों के लिए कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए। पीठ ने कहा कि हमने अपनी सोच से अवगत करा दिया है कि नागरिक संशोधन कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन के मामले में तथ्यों का पता लगाने की कवायद के लिये पहले हाईकोर्ट में जाना चाहिए।
केन्द्र ने न्यायालय को बताया कि कोई भी छात्र जेल में नहीं है, इसके घायल छात्रों को पुलिस अस्पताल ले गयी
जामिया विश्वविद्यालय कुलपति के मीडिया को दिए बयान पर विचार करने से इनकार करते हुये कोर्ट ने किसी भी न्यायिक नतीजे पर पहुंचने के लिये समाचार पत्रों पर निर्भर नहीं रहेंगे। केन्द्र ने न्यायालय को बताया कि कोई भी छात्र जेल में नहीं है। इसके घायल छात्रों को पुलिस अस्पताल ले गयी थी। कोर्ट ने केन्द्र से सवाल किया कि प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करने से पहले उन्हें कोई नोटिस क्यों नहीं दी गयी? और क्या घायल छात्रों को मेडिकल सहायता दी गयी थी।
जामिया प्रशासन ने इस पूरे घटनाक्रम में छात्रों का हाथ होने से इनकार किया है। जामिया की वाइस चांसलर नजमा अख्तर ने कहा कि विश्वविद्यालय और उसके आसपास हुई हिंसा में बाहरी उपद्रवी शामिल थे। गृहमंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट में भी इस उपद्रव में बाहरी तत्वों के शामिल होने की बात कही गई है।
दिल्ली पुलिस के कई जवान घायल
वहीं दिल्ली पुलिस का कहना है कि प्रदर्शन के दौरान पुलिस की ओर से कम से कम हिंसा की गई है। इसके साथ ही इस दौरान किसी की जान जाने से भी उन्होंने मना किया है। लगभग 30 पुलिस कर्मियों को चोटें आईं, दो एसएचओ को फ्रैक्चर हुआ, हमारा एक जवान आईसीयू में है। मारपीट और आगजनी के लिए दो एफआईआर दर्ज की गई हैं। क्राइम ब्रांच सभी एंगल से मामले की जांच करेगी।