कोरोना संक्रमण के दैनिक मामलों में कमी के साथ ही नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन एक बार फिर से रफ्तार पकड़ने लगा है। आंदोलन को 200 से अधिक दिन हो चुके हैं, लेकिन अब तक सरकार और किसान के बीच बात नहीं बनी है, दोनों अपनी बात पर अड़े हैं।
किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने एक बार फिर आंदोलन को तेज करने की बात कही है। उन्होंने ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने लिखा- सरकार मानने वाली नहीं, इलाज तो करना पड़ेगा। ट्रैक्टरों के साथ अपनी तैयारी रखो, जमीन बचाने के लिए आंदोलन तेज करना होगा।
इससे पहले टिकैत ने कहा था, “सरकार यह गलतफहमी अपने दिमाग से निकाल दे कि किसान वापस जाएगा, तभी वापस जाएगा, जब मांगें पूरी हो जाएंगी।”
एक रोज़ पहले ही राकेश टिकैत ने कहा था कि केंद्र सरकार यह गलतफहमी अपने दिमाग से निकाल दे कि किसान वापस जाएगा। किसान तभी वापस जाएगा, जब मांगें पूरी हो जाएंगी। हमारी मांग है कि तीनों कानून रद्द हों। एमएसपी पर कानून बने।
जानकारी के लिये बता दें कि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कुछ दिन पहले कहा था कि सरकार किसानों से बातचीत करने के लिए तैयार है। लेकिन कानून रद्द नहीं किए जाएंगे। तोमर ने कहा था कि यदि किसान किसी भी तरह का संशोधन चाहते हैं तो फिर मैं उसका स्वागत करूंगा। लेकिन कानून रद्द नहीं होंगे।
बता दें कि बीते वर्ष केंद्र सरकार तीन कृषि सुधार क़ानून संसद द्वारा बनाए गए थे, इन क़ानूनों के ख़िलाफ भाजपा की सहयोगी शिरोमणी अकाली दल और राजस्थान की हनुमान बेनीवाल पार्टी आरएलएसपी ने एनडीए से गठबंधन खत्म कर लिया था। लेकिन इसके बावजूद केंद्र सरकार किसानों की मांग मानने के लिये तैयार नहीं है।