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अंतर्राष्ट्रीय पुष्कर पशु मेले का शुभारंभ, होंगे ये खास आयोजन

Pushkar Mela

Pushkar Mela

अजमेर। राजस्थान के अजमेर जिले में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर पशु मेले (Pushkar Mela) का शुभारंभ आज, शनिवार 02 नवंबर से हो गया है। पशुपालन विभाग द्वारा श्री पुष्कर पशु मेला 2024 के लिए कार्यालय की स्थापना की गई है, जिससे मेले की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय पुष्कर पशु मेले 2024 (Pushkar Mela) में पर्यटन विभाग पशुओं के लिए विभिन्न रोमांचक प्रतियोगिताओं का आयोजन करेगा। मेले में ऊंट नृत्य, घोड़ा नृत्य, ऊंट सजाओ प्रतियोगिता, और घोड़ा और ऊंट दौड़ प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी, जो इस आयोजन को और भी आकर्षक बनाएंगी।

इस पुष्कर पशु मेले (Pushkar Mela) में पूरे भारत से पशुपालक अपने-अपने पशु यहां लेकर आते हैं और उनके खरीद फरोख्त के साथ पशु विभाग द्वारा होने वाले विभिन्न पशु प्रतियोगिता में भाग भी लेते हैं। जिनको देखने के लिए देसी ही नई विदेशी पर्यटक भी बड़ी संख्या में पुष्कर के मेला मैदान में आते हैं। मेले से जुड़े सभी आयोजन 9 नवंबर से शुरु होंगे, जो 15 नवंबर तक चलेंगे।

आज पुष्कर में आने वाले पशुपालकों के लिए प्रशासनिक चौकियां लगना शुरू हो जायेंगीं।अंतरराष्ट्रीय पुष्कर पशु मेले में पर्यटन विभाग की ओर से मेले में आने वाले पशुओं के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा, जिसमें ऊंट नृत्य, घोड़ा नृत्य, ऊंट सजाओ प्रतियोगिता, घोड़ा, ऊंट दौड़ प्रतियोगिताओं के अलावा अन्य प्रतियोगिताएं भी पुष्कर मेला मैदान में आयोजित की जाएंगी।

देवस्थान विभाग के द्वारा निकाली जाने वाली धार्मिक यात्रा के लिए गायत्री शक्ति पीठ, उदासीन आश्रम, ब्रह्मा कुमारी, गरीब नवाज दरगाह के साथ विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों ने यात्रा को लेकर तैयारियां पूरी कर ली हैं। यह यात्रा पशु मेले के शुभारंभ का संकेत मानी जाती है। यात्रा अपने पुराने रूट से निकाली जाएगी। उपखण्ड अधिकारी पुष्कर गौरव कुमार मितल के मुताबिक यह आध्यात्मिक यात्रा पुष्कर मेले के शुभारम्भ का प्रतीक है।

उन्होंने कहा कि इस यात्रा को समपन्न करने में आम जन, संस्थाएं तथा ट्रस्ट की भागीदारी महत्वपूर्ण है। इस यात्रा को सभी विभाग समन्वय से कार्य करके भव्य बनाएंगे तथा सभी धर्म सद्भाव से कार्य करेंगे। यात्रा में झांकियों का प्रदर्शन किया जाएगा। हर वर्ष की भांति यह यात्रा शान्ति निकाली जाएगी। इस आध्यात्मिक यात्रा का प्रारम्भ 2005 में हुआ था।

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