भारत-पाक 1971 युद्ध

विजय दिवस: भारत-पाक के 1971 युद्ध ने इंदिरा गांधी को लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचाया

755 0

नई दिल्ली। 16 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तान की सेना ने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के इलाके में भारतीय सेना और बांग्लादेशी स्वतंत्रता सेनानियों-मुक्तिवाहिनी-संयुक्त कमान के समक्ष आत्मसमर्पण किया था। इस लड़ाई में भारतीय सेना के जवान और मुक्तिवाहिनी के लड़ाके कंधा से कंधा मिला कर लड़े थे।

दक्षिण एशिया के साथ-साथ वैश्विक भू-राजनीति के क्षेत्र में 1971 घटनाओं से भरा वर्ष

दक्षिण एशिया के साथ-साथ वैश्विक भू-राजनीति के क्षेत्र में 1971 घटनाओं से भरा वर्ष है। इसने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को देश में लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचा दिया। बांग्लादेश के जन्म के साथ ही उनका नाम इतिहास के एक महान राजनेता के रूप में सुरक्षित कर दिया। भारतीय सेना के नायक जनरल सैम मानेक शॉ, जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा, जनरल जेएफआर जैकब और जनरल सुजान सिंह उबन, जिन्होंने पाकिस्तान के विरुद्ध भारत को शानदार जीत दिलाई। उनके नाम भी इतिहास में सदा के लिए सम्मानपूर्वक अंकित हो गए।

विजय दिवस: महज 13 दिनों में भारत के सेना के सामने 93,000 पाक सैनिकों ने टेके घुटने 

पाकिस्तानी सेना के मानसिक बल को ध्वस्त करने में महती भूमिका निभाई

बता दें कि इन तीन जनरल में एक पारसी, दो सिख और एक यहूदी थे। धर्मनिपरेक्षता के प्रति भारतीय विश्वास का इससे बेहतर और कोई प्रमाण नहीं हो सकता। इनमें जनरल उबन की महती भूमिका बंगाली मुक्ति सिपाहियों के अनियतकालिक गुरिल्ला बल ‘गणो वाहिनी’ बनाने में थी, जिन्होंने जान पर खेल कर अपने दुस्साहस से पाकिस्तानी सेना की टुकड़ियों के हाथ बांध दिये और इस तरह उन्हें अपने सीमित इलाकों में ही सिमटे रहने पर विवश कर दिया। इस तरीके से उन्होंने पाकिस्तानी सेना के मानसिक बल को ध्वस्त करने में महती भूमिका निभाई। ये दिग्गज जनरल भारतीय सैन्य इतिहास में जीवंत कथा-वृत्तांत हो गए हैं।

बांग्लादेशी नेता शेख मुजीबुर्रहमान ने पाकिस्तानी अत्याचार से बंगाली जनता की मुक्ति का शंखनाद किया

बांग्लादेशी नेता, शेख मुजीबुर्रहमान, जिन्होंने पाकिस्तानी अत्याचार से बंगाली जनता की मुक्ति का शंखनाद किया था, वह भी इतिहास में अमर हो गए। उन्हें ‘बंगबंधु’ और ‘बांग्लादेश के राष्ट्रपिता’ जैसे असीम स्नेह व सम्मानसूचक सम्बोधनों से जनता ने सम्मानित किया।दक्षिण एशिया के साथ-साथ वैश्विक भू-राजनीति के क्षेत्र में 1971 घटनाओं से भरा वर्ष है। इसने तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को देश में लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचा दिया और इतिहास में उनका नाम एक महान राजनेता के रूप में सुरक्षित कर दिया।

‘बंग बंधु’ और उनके परिवार के अधिकतर लोगों की अगस्त 1975 में हत्या कर दी गई तो इंदिरा गांधी को अक्टूबर,1984 में उनके ही सुरक्षाकर्मियों ने गोलियां बरसा कर मार डाला

हालांकि इसके पश्चात, दोनों नेताओं ने खुद ही अपनी विरासत को नुकसान भी पहुंचाया। इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू कर और मुजीबुर्रहमान ने युद्ध से जर्जर अर्थव्यवस्था वाले देश में लुंज-पुंज प्रशासन व एक दलीय व्यवस्था थोप कर। दोनों ही नेताओं को गोलियों का शिकार बनना पड़ा। ‘बंग बंधु’ और उनके परिवार के अधिकतर लोगों की अगस्त 1975 में हत्या कर दी गई तो इंदिरा गांधी को अक्टूबर,1984 में उनके ही सुरक्षाकर्मियों ने गोलियां बरसा कर मार डाला।

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व का दायित्व उनके बड़े बेटे राजीव गांधी पर आ गया। वहीं, बांग्लादेश में भी, मुजीबुर्रहमान की पार्टी अवामी लीग का सारा दारोमदार उनकी दोनों बेटियां-शेख हसीना (मौजूदा प्रधानमंत्री) और शेख रेहाना पर आन पड़ा, जो उस समय विदेश प्रवास में रहने के कारण संयोगवश ही जिंदा रह गई थीं।

Related Post

जन्मदिन पर उठी एके शर्मा को यूपी का मुख्यमंत्री बनाने की मांग

Posted by - July 12, 2021 0
राष्ट्रीय ब्राह्मण युवजन सभा ने रविवार को दिल्ली स्थित यूपी भवन में संगठन के राष्ट्रीय संरक्षक, पूर्व आईएएस ब्राह्मण शिरोमणि…
प्रज्ञा ठाकुर

प्रज्ञा ठाकुर का लोकसभा में विवादित बयान, गोडसे को बताया ‘देशभक्त’

Posted by - November 27, 2019 0
नई दिल्ली। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर अपने विवादित बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहती हैं। बुधवार को लोकसभा में एक…
BJP

हरियाणा के चुनावी महाभारत में भाजपा की हैट्रिक, सदमे में कांग्रेस

Posted by - October 8, 2024 0
नयी दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने हरियाणा के चुनावी महाभारत में सत्ता विरोधी लहर को लेकर राजनीतिक पंडितों के…