Typhoid

टाइफाइड से बचाव करेगा स्वदेशी टीका, एक साथ कई बैक्टीरिया पर करेगा हमला

48 0

बच्चों को टाइफाइड (Typhoid) से बचाने के लिए भारतीय शोधकर्ताओं ने एक ऐसे टीका की खोज की है जो एक साथ बैक्टीरिया के कई स्वरूपों पर हमला करने में सक्षम है।

यह टीका साल्मोनेला टाइफी और साल्मोनेला पैराटाइफी दोनों तरह की बीमारी में सुरक्षा करेगा। कोलकाता स्थित राष्ट्रीय हैजा एवं आंत्र रोग संस्थान ने इसे तैयार किया है। इसकी गुणवत्ता का सही आकलन करने के लिए नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने निजी कंपनियों के साथ मिलकर काम करने की घोषणा की है।

शोधकर्ताओं के अनुसार, बच्चों में टाइफाइड (Typhoid) का कारण साल्मोनेला बैक्टीरिया बनता है। कई देशों में यह संक्रमण सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियां पैदा कर रहा है। देरी से जांच और एंटीबायोटिक प्रतिरोध के चलते कई बिना लक्षण के मामले भी समुदाय में सक्रिय रहते हैं। इस गंभीर चुनौती का सामना करने के लिए भारतीय शोधकर्ता पिछले कई वर्ष से इस तरह के टीके की खोज कर रहे थे। अध्ययन के दौरान यह टीका एस. टाइफी, एस. पैराटाइफी, एस. टाइफी म्यूजियम और एस. एंट्राइटिस के खिलाफ पर्याप्त सुरक्षात्मक एंटीबॉडी पैदा करने में सक्षम पाया है। यह एक बहु संयोजी टीका साल्मोनेला सेरोवर्स के सभी स्वरूपों पर असरदार है।

मौजूदा दो टीकों से ज्यादा असरदार

अभी भारत के पास टाइफाइड (Typhoid) से बचाव के लिए दो अलग-अलग तरह के टीका हैं। एक भारत बायोटेक कंपनी ने तैयार किया। इस टाइपबार टीसीवी टाइफाइड टीका को 2017 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से स्वीकृति मिली। इसके बाद बायोलॉजिकल ई ने वी-आई-सीआरएम 197 टाइफाइड टीका तैयार किया, जिसे 2020 में डब्ल्यूएचओ ने मान्यता दी है। यह नया टीका इन दोनों से ज्यादा असरदार होगा।

IPL 2024: शुभमन पर लगा लाखों रुपये का जुर्माना, CSK के खिलाफ की थी यह गलती

अभी भारत के पास टाइफाइड (Typhoid) से बचाव के लिए दो अलग-अलग तरह के टीका हैं। एक भारत बायोटेक कंपनी ने तैयार किया। इस टाइपबार टीसीवी टाइफाइड टीका को 2017 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से स्वीकृति मिली। इसके बाद बायोलॉजिकल ई ने वी-आई-सीआरएम 197 टाइफाइड टीका तैयार किया, जिसे 2020 में डब्ल्यूएचओ ने मान्यता दी है। यह नया टीका इन दोनों से ज्यादा असरदार होगा।

टिकाऊ एंटीबॉडी किसी की नहीं

आईसीएमआर का कहना है कि लंबी अवधि के आधार पर देखें तो मौजूदा टीका बच्चों की अधिक दिन तक सुरक्षा देने में असरदार नहीं है। आमतौर पर यह कहा जाता है कि टीकाकरण के बाद भी पांच से 15 साल के बच्चों में यह बीमारी दोबारा हो सकती है। इसलिए भारतीय शोधकर्ताओं ने लंबे समय तक एंटीबॉडी टिकने वाला फॉर्मूला पर काम किया है जो टाइफाइड के दोहराव को रोकने में सफल है।

इसलिए जरूरी है बेहतर टीका

शोधकर्ताओं का कहना है कि टाइफाइड (Typhoid) टीका काफी जरूरी है। साल 2019 में दुनियाभर में लगभग 92.4 लाख टाइफाइड के मामले सामने आए और 1.10 लाख बच्चों की मौत हुई। इनमें से अधिकतर मामले और मौतें भारत सहित पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया और अफ्रीका में हुईं।

Related Post

मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में बोले पीएम- बहुरुपिया है कोरोना, हर वैरिएंट पर रखनी होगी नजर

Posted by - July 13, 2021 0
देश में कोरोना संकट के बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने सोमवार को पूर्वोत्तर राज्यों के आठ मुख्यमंत्रियों के साथ वर्चुअल…
कपालभाति प्राणायाम

कपालभाति प्राणायाम : वजन कम करने के साथ ही बालों की समस्याओं से दिलाता है मुक्ति

Posted by - July 17, 2020 0
नई दिल्ली। आजकल ज्यादातर लोग अपना वजन कम करने के लिए डाइटिंग या फिर जिम ज्वाइन कर लेते हैं, लेकिन…