नई दिल्ली। देश में फैले कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए बाजार में नकली सैनिटाइजर की बाढ़ आ गई। इस समय सैनिटाइजर जैसे उत्पादों की मांग बढ़ गई है। इसे देखते हुए हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में स्थित हिमालय-जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) के वैज्ञानिकों ने एक नया हैंड-सैनिटाइजर विकसित किया है।
सैनिटाइजर में पेराबेंस, ट्राईक्लोस्म, सिंथेटिक खुशबू और थेलेटेस जैसे रसायनों का उपयोग नहीं किया
आईएचबीटी के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने बताया कि इस हैंड-सैनिटाइजर में प्राकृतिक गंध, सक्रिय चाय घटक और अल्कोहल की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशा-निर्देशों के अनुसार उपयोग की गई है। इसकी एक खास बात है कि इस उत्पाद में पेराबेंस, ट्राईक्लोस्म, सिंथेटिक खुशबू और थेलेटेस जैसे रसायनों का उपयोग नहीं किया है।
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कम दाम में मिलेगा नया सैनिटाइजर
डॉ. संजय कुमार ने बताया कि बाजार में अचानक सैनिटाइजर के मांग बढ़ने से इसके मनमाने दाम वसूले जा रहे हैं। सही उत्पाद की मांग में मौजूदा वृद्धि को देखते हुए इस हैंड सेनिटाइजर का विकास उपयुक्त समय पर किया गया है।
हैंड-सैनिटाइजर के व्यावसायिक उत्पादन के लिए मंगलवार को आईएचबीटी ने पालमपुर की ही कंपनी ए.बी. साइंटिफिक सॉल्यूशन्स के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के अनुसार आईएचबीटी हैंड-सैनिटाइजर के उत्पादन की अपनी तकनीक इस कंपनी को हस्तांतरित कर रहा है।
ए.बी. साइंटिफिक सॉल्यूशन्स के पास अपना एक मजबूत मार्केटिंग नेटवर्क है। यह कंपनी इस हैंड-सैनिटाइजर के व्यावसायिक उत्पादन के लिए पालमपुर में एक केंद्र स्थापित करेगी। देशभर के सभी प्रमुख शहरों में सैनिटाइजर और अन्य कीटाणुनाशकों का विपणन करेगी।