लखनऊ। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) की वजह से देश के कई हिस्सों में इंटरनेट सेवा बंद है। इस कारण पहले से ही वित्तीय संकट से जूझ रही टेलीकॉम कंपनियों को भारी नुकसान हो रहा है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि देशभर के कई इलाकों में इंटरनेट सेवा बंद होने से टेलीकॉम कंपनियों को हर घंटे करीब 2.45 करोड़ रुपये का चूना लग रहा है।
जानें क्यूं लिया इंटरनेट सेवा बंद करने का फैसला?
बता दें कि करीब तीन सप्ताह पहले संसद में नागरिकता संशोधन बिल पास हो गया है। इसके बाद से राजधानी नई दिल्ली समेत देशभर के कई इलाकों में लगतार विरोध प्रदर्शन जारी है। इस कानून के तहत सरकार ने प्रावधान किया है कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए अल्पसंख्यक शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी।
यूपी के 18 जिलों में है इंटरनेट सेवा बंद
बीते शुक्रवार से यूपी के करीब 18 जिलों में इंटरनेट बंद है। टेलीकॉम कंपनियां सरकार के आदेश पर इंटरनेट सेवा बंद होने की जानकारी ग्राहकों को SMS के जरिए दे रही हैं। रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में कुछ अन्य लोगों के हवाले से लिखा है कि इंटरनेट सर्विस प्रदाताओं ने दिल्ली के कुछ बाहरी इलाकों में होम ब्रॉडबैंक सेवा भी 24 घंटों के लिए बंद कर दिया था। हालांकि 28 दिसंबर से इस सेवा को फिर से शुरू कर दिया है।
एक भारतीय औसतन हर माह 9.8 GB डाटा अपने स्मार्टफोन के जरिए करता है खर्च
स्वीडेन की टेलीकॉम कंपनी एरिक्सन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक भारतीय औसतन हर माह 9.8 GB डाटा अपने स्मार्टफोन के जरिए खर्च करता है, जो कि पूरी दुनिया में सबसे अधिक है। फेसबुक और व्हाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए भारत सबसे बड़ा बाजार माना जाता है।
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने कहा कि इंटरनेट सेवा बंद करना सरकार की तरफ से की जाने वाली पहली कार्रवाई यानी फर्स्ट कोर्स ऑफ एक्शन नहीं होनी चाहिए। भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और रिलायंस जियो इन्फोकॉम भी इस एसोसिएशन के सदस्य है।
सीओएआई के निदेशक राजन मैथ्युज ने कहा कि हमने शटडाउन से होने वाले नुकसान पर ध्यान दिया है। उन्होंने कहा कि 2019 के अंत तक हमारे गणना के हिसाब से इंटरनेट बंद होने की वजह से टेलीकॉम कंपनियों को हर घंटे 2.4 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।
कश्मीर में 140 दिनों तक बंद थी इंटरनेट सेवा
पहले से ही प्रतिस्पर्धी टैरिफ की मार से परेशान इन कंपनियों की रेवेन्यू पर भी इसका असर दिखाई देगा। बता दें कि इसके पहले कश्मीर में भी लगातार 140 दिनों के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद थी।