लखनऊ। विधानमंडल के बजट सत्र (Budget Session) के पहले दिन सोमवार को सपा के चीफ व्हिप मनोज पांडेय (Manoj Pandey) की मीडिया (Media) पर अंकुश लगाने की मांग की चहुंओर निंदा हो रही है। भाजपा समेत आम जन का भी मानना है कि इसकी स्वतंत्रता पर कभी अंकुश नहीं लगाया जाना चाहिए। देश-प्रदेश में कई ऐसे मामले हैं, जिसमें मीडिया ने पीड़ित को न्याय दिलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। भाजपा प्रवक्ता ने इसकी भर्त्सना करते हुए कहा है कि सपा के नेता स्वयं कई गंभीर मामलों में फंसते दिख रहे हैं, इसलिए सपा के लोग मीडिया पर अंकुश की मांग कर रहे हैं।
सपा विधानमंडल दल के मुख्य सचेतक मनोज पांडेय ने विधानमंडल दल के बजट सत्र के पहले दिन मीडिया (Media) पर अंकुश लगाने की मांग की थी। उनके बयान पर प्रदेश के वित्त व संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है।
मीडिया पर रोक लगाना ठीक नहीं होगा, न तो मीडिया के लिए और न ही हमारे लिए। मीडिया पर अंकुश लगाने का कोई भी संदेश विधायिका के लिए उपयुक्त नहीं होगा। खन्ना ने कहा कि समाजवादी पार्टी का यह वक्तव्य किसी भी प्रकार से उचित नहीं है।
अपनों को सुधारे, मीडिया को कटघरे में खड़ा करना बंद करे सपा
भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी (Rakesh Tripathi) ने कहा कि मीडिया की खबरों से सपा परेशान है। चीफ व्हिप मनोज पांडेय सदन में मीडिया ट्रायल पर अंकुश लगाने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि सपा के कई विधायक, नेता, सांसद गंभीर आपराधिक मामलों में फंसते जा रहे हैं। सपा की छवि खराब न हो। उनके काले कारनामों पर मीडिया कुछ भी न बोले और न लिखे, इसलिए अंकुश की मांग कर रहे हैं।
यह सपा का दोहरा रवैया है। एक तरफ मीडिया (Media) की आजादी के लिए जंग लड़ने की बात करते हैं और दूसरी तरफ अंकुश लगाने की मांग करते हैं। लेकिन मोदी-योगी सरकार में मीडिया की स्वतंत्रता पर कोई रोक नहीं लग सकती। सपा के लोग अपनों को सुधारने की बजाय मीडिया को कटघरे में खड़ा करना बंद करें।