वाशिंग्टन। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलीना जॉर्जिवा ने कोरोना वायरस महामारी को अभूतपूर्व संकट करार दिया है। गुरुवार को कहा कि इस साल ‘महामंदी’ के बाद की सबसे बड़ी वैैैश्विक गिरावट की आशंका है।
आईएमएफ अगले सप्ताह वैश्विक अर्थव्यवस्था और वित्तीय स्थिरता पर अपनी रिपोर्ट जारी करेगा
आईएमएफ अगले सप्ताह वैश्विक अर्थव्यवस्था और वित्तीय स्थिरता पर अपनी रिपोर्ट जारी करेगा। उससे पहले श्रीमती जॉर्जिवा ने यहां ‘संकट का मुकाबला : वैश्विक अर्थव्यवस्था की प्राथमिकता’ विषय पर अपने सम्बोधन के दौरान कहा कि आज दुनिया के समक्ष अभूतपूर्व संकट है। कोविड-19 ने सामाजिक और आर्थिक व्यवस्थाओं को बिजली की गति से इतने व्यापक पैमाने पर तहस-नहस कर दिया है जो हमारे जीवनकाल में नहीं देखा गया था।
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2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट आयेगी
उन्होंने इसे 1929-30 की महामंदी के बाद का सबसे बड़ा संकट बताया। आईएमएफ प्रमुख ने कहा कि यह संकट कितना गहरा होगा और कब तक रहेगा यह अब भी अनिश्चित है। यह हालांकि स्पष्ट है कि 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट आयेगी। हम महामंदी के बाद की सबसे बड़ी आर्थिक गिरावट का अंदेशा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि जून तक इस रोग का संक्रमण घटना शुरू हो जाता है। तभी अर्थव्यवस्था में कुछ सुधार की गुंजाइश बनेगी। श्रीमती जॉर्जिवा ने कहा कि आईएमएफ की जनवरी में जारी रिपोर्ट में 160 सदस्य देशों में वर्ष 2020 में प्रति व्यक्ति आय बढ़ने का अनुमान लगाया गया था। अब यह आंकड़ा बिल्कुल पलट गया है। अब हमारा अनुमान है कि इस साल 170 से अधिक देशों में प्रति व्यक्ति आय घटेगी।
पिछले दो महीने में पोर्टफोलियो निवेशकों ने विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों से 100 अरब डॉलर निकाले
उन्होंने कहा कि कोरोना संकट से विकसित और विकासशील दोनों श्रेणी के देश प्रभावित हुए हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है – खास कर खुदरा कारोबार, आतिथ्य, परिवहन और पर्यटन क्षेत्रों पर। आईएमएफ प्रमुख ने बताया कि पिछले दो महीने में पोर्टफोलियो निवेशकों ने विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों से 100 अरब डॉलर निकाले हैं। इन देशों को हजारों अरब डॉलर के विदेशी ऋण की जरूरत होगी। उन्हें तुरंत मदद की आवश्यकता है।