तीजन बाई

अनपढ़ फिर भी ‘डॉक्टरेट’ की है उपाधि, ‘पद्मविभूषण’ तीजन बाई पर बनेगी बायोपिक

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नई दिल्ली। पद्मविभूषण तीजन बाई पांडवानी किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। देश-विदेश में अपनी अद्भुत कला का परचम लहराने वाली और पद्मविभूषण, पद्मभूषण और पद्मश्री से सम्मानित तीजन बाई के जीवन की कहानी अब जल्द ही फिल्मी पर्दे पर नजर आएगी। इस फिल्म की शूटिंग महाभारत की धरती हस्तिनापुर से शुरू होगी।

पांडवानी गायिका पद्मविभूषण तीजनबाई की कहानी अब फिल्मी पर्दे पर दिखेगी

पांडवानी गायिका पद्मविभूषण तीजनबाई की कहानी अब फिल्मी पर्दे पर दिखेगी। मशहूर अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी की पत्नी आलिया सिद्दीकी पद्मश्री तीजन बाई की बायोपिक बनाने की तैयारी कर रही हैं। खास बात यह कि कौरव-पांडवों के बीच हुए महाभारत युद्ध की गवाह हस्तिनापुर की धरती से ही इस बायोपिक की शुरुआत होगी।

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बायोपिक में ये कलाकार निभा सकते हैं किरदार

फिल्म में तीजन बाई का किरदार प्रियंका चोपड़ा, विद्या बालन और जूही चावला में से कोई निभा सकता है। तीजनबाई को पांडवानी कलाकार बनाने वाले उनके नाना ब्रजलाल की भूमिका महानायक अतिमाभ बच्चन निभाएंगे। जल्द ही फिल्म की शूटिंग शुरू होगी। शूटिंग में हस्तिनापुर सर्किट के भी कुछ दृश्य शामिल किए जाएंगे।

आलिया सिद्दीकी तीजनबाई पर कर रही हैं शोध

जोशीले स्वर और मधुर कंठ से पांडवानी गाने वाली कलाकार तीजन बाई की कहानी पर आलिया सिद्दीकी शोध कर रही हैं। इसी सिलसिले में पिछले दिनों आलिया और नवाजुद्दीन तीजन बाई से मिले थे। आलिया के साथ इस फिल्म को मंजू गढ़वाल निर्देशित करेंगी। फिल्म वाईएस इंटरटेनमेंट के बैनर तले बनेगी।

24 अप्रैल 1956 को भिलाई, दुर्ग के गनियारी गांव में जन्मी तीजनबाई बेहद सामान्य परिवार से रखती हैं ताल्लुक 

बता दें कि 24 अप्रैल 1956 को भिलाई, दुर्ग के गनियारी गांव में जन्मी तीजनबाई बेहद सामान्य परिवार से ताल्लुक रखती हैं। नाना ब्रजलाल महाभारत की कहानियां गाते थे। नाना की कहानियों को तीजन बाई छिपकर सुनती और याद करती थीं। एक दिन नाना ने जब तीजन को गाना सुनते पकड़ा तो उन्हें भी पांडवानी गाना सिखा दिया।

पांडवानी वेदमती और कापालिक दो शैलियों में गाई जाती है। वेदमती शैली यानि बैठकर कथा सुनाना जो केवल स्त्रियां करती हैं। कापालिक यानि खड़े होकर पांडवानी गाना इस शैली को सिर्फ पुरुष ही गाते हैं। तीजन बाई पहली ऐसी लोक कलाकार हैं जिन्होंने कापालिक शैली में पांडवानी गाना शुरू किया।

तीजन बाई कभी स्कूल नहीं गई लेकिन बिलासपुर विवि ने उन्हें डीलिट की मानद उपाधि भी प्रदान की

जोशीले स्वर, मधुर कंठ और रंगीन फुंदनेदार एकतारे को लेकर कहानी का सजीव चित्रण करने की कला में माहिर तीजन बाई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रस्तुति दे चुकी हैं। पद्मश्री, पद्मभूषण समेत संगीत नाटक अकादमी सम्मान से सम्मानित हैं। खास बात यह भी है कि तीजन बाई कभी स्कूल नहीं गई लेकिन बिलासपुर विवि ने उन्हें डीलिट की मानद उपाधि भी प्रदान की है।

तीजन बाई पिछले वर्ष मेरठ में स्पिक मैके के तहत प्रस्तुति देने आई थीं। उन्होंने विद्या ग्लोबल स्कूल में पांडवानी की प्रस्तुति दी थी। तब हुई बातचीत में फिल्म बनने की बात पर संभावना जताई थी। तीजन बाई ने कहा था कि कुछ यहीं मेरठ इसके आसपास के लोग हैं जो मेरी बायोपिक बनाना चाहते थे। फिल्म कब तक बनेगी अभी बता नहीं सकती।

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