लाइफस्टाइल डेस्क। ऐसा अक्सर सबके साथ होता हैं कि कुछ चीज याद करने पर हमें याद नही आती और ऐसे में हम बहुत परेशान होते हैं कि जरूरत के समय पर हमें वो चीज याद नही आ रही हैं। हालांकि वो बाद में याद आता ही हैं। ऐसा बढ़ती उम्र वालों के साथ खासतौर पर होता हैं। यदि आप भी इस चीज से परेशान हैं तो इन टिप्स को जरूर अपनाएं।
1.मूवमेंट के साथ याद करें
इस तकनीक का इस्तेमाल अभिनेता करते हैं। अगर आप कोई चीज़ मूवमेंट के साथ करें तो उसके याद होने की संभावना ज़्यादा होती है।
अगर आपको कोई प्रजेंटेशन देना हो या स्पीच देनी हो तो उसकी तैयारी के लिए अपने नोट्स टहलते हुए या डांस करते हुए याद कीजिए, साफ़ अंतर दिखेगा।
2.नई चुनौतियों की तलाश
दिमाग़ को तंदरुस्त रखने के लिए ज़रूरी है कि आप उसे चैलेंज करते रहें, नई चीज़ें सीखते रहें। मतलब कोई नई भाषा सीखना या कोई नई कला सीख कर आप अपने दिमाग़ की क्षमता बढ़ा सकते हैं। ये सब नहीं कर पाएं तो अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ ऑनलाइन गेम ही खेलकर देखिए।
किसी को गाने सुनते हुए देखिए या कोई वाद्ययंत्र बजाते हुए देखिए, आपको लगेगा कि उसका पूरा शरीर एक्टिव है। कई बार यादाश्त चले जाने के मामलों में भी म्यूज़िक से फ़ायदा देखा गया है।
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3.पढ़िए और सोइए
अगर आप दिन में कुछ नया पढ़ते हैं तो आपके दिमाग़ के दो कोशिकाओं के तार जुड़ जाते हैं, जब आप सोते हैं जो ये संपर्क मज़बूत होता है और आपने जो भी पढ़ा, वो आपकी यादाश्त में शामिल हो जाता है।
इसलिए नींद यादाश्त के लिए सबसे अहम फैक्टर होता है। यही वजह है कि सोने से पहले फ़िल्म देखने या डरावनी कहानी देखने से बचना चाहिए. पाजिटिव अनुभवों के साथ सोना चाहिए।
4.सुबह में ऐसे उठें
तो आप ये जान ही चुके हैं कि नींद बहुत अहम है, अगर आप पांच घंटे से कम सोते हैं तो आप मानसिक रूप से उतने एलर्ट नहीं हो सकते। यही स्थिति तब भी हो सकती है जब आप 10 घंटे से ज़्यादा सोते हैं।
सबसे अच्छी स्थिति तो ये है कि आप अंधेरे में सोएं और धीरे धीरे तेज़ हो रही रोशनी में उठें, जैसे सूर्य की रोशनी. ये रोशनी आपकी पलकों से होते हुए जब गुजरती है तो दिमाग़ को बेहतर रिस्पांस के लिए तैयार करती है। घर में सूर्य की रोशनी नहीं आ रही हो तो ऐसा अलार्म ख़रीदइए जिसमें लाइट सिस्टम लगा हो।
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5.व्यायाम
व्यायाम करने से दिमाग की कोशिकाओं के बीच आपसी संपर्क बेहतर होता है और नई कोशिकाओं का निर्माण भी होता है। कार्डियो वाले एक्सरसाइज करने से आप ज़्यादा आक्सीजन लेते हैं और अगर ये एक्सरसाइज आप आउटडोर कर रहे हों तो आपको विटामिन डी भी मिलता है।
आप ऐसा ही बदलाव दूसरों के साथ अपने आइडिया बांटते हुए महसूस कर सकते हैं। दूसरों की मदद करके महसूस कर सकते हैं।
6.संतुलित भोजन
आप जो भी सुगर और एनर्जी का इनटेक लेते हैं उसका 20 फ़ीसदी हिस्सा सीधा दिमाग़ को जाता है, यही वजह है कि दिमाग़ की कामकाजी हालत ग्लूकोज के स्तर पर निर्भर करती है।
अगर आपका सुगर लेवल नियंत्रित नहीं है तो फिर आपका दिमाग कंफ्यूज हो सकता है. ऐसे भोजन खाना दिमाग़ के लिए बेहतर हो सकता है जिसके डोपामाइन केमिकल निकलता है।
ये बात भी ख़्याल रखें कि दिमाग़ की कोशिकाएं फैट से बनती हैं, लिहाजा खाने में फैट का इस्तेमाल नहीं छोड़े। इसके अलावा नट्स, सीड्स, नाशपाती और मछली दिमाग़ के लिए बेहतर होते हैं।
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7.दुनिया से कटना भी सीखें
तनाव दिमाग़ के लिए बेहतर होता है, क्योंकि आपातकाल में ही आपका दिमाग़ तेजी से सोचता है। लेकिन ज़्यादा समय तक तनाव का रहना दिमाग़ के लिए बेहतर नहीं होता है। इसलिए समय समय पर दुनिया से एकदम कट जाना बेहतर होता है, दिमाग़ को आराम मिलता है।