Site icon News Ganj

श्रीरामलला मंदिर में 30 को होगी मूर्तियों की स्थापना, जून में प्राण प्रतिष्ठा

Ramlala temple

Ram Mandir

अयोध्या । श्रीराम मंदिर (Ramlala Temple) के निर्माण कार्य में तेजी देखने को मिल रही है। योगी सरकार की निगरानी में यह ऐतिहासिक राम मंदिर निर्माण कार्य अंतिम चरण की ओर बढ़ रहा है। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि मंदिर के प्रथम तल पर राम दरबार और परकोटा में छह मंदिरों की स्थापना होगी। इनमें सूर्य, भगवती, अन्नपूर्णा, शिवलिंग, गणपति और हनुमान जी की मूर्तियां शामिल हैं। इसके अलावा, शेषावतार मंदिर में लक्ष्मण जी की मूर्ति स्थापित की जाएगी। सप्त मंडप में महर्षि वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य मुनि, निषाद राज, शबरी और अहिल्या की मूर्तियां स्थापित होंगी। ये सभी प्रतिमाएं सफेद मकराना मार्बल से तैयार की गई हैं, जिनका निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। मूर्तियों के श्रृंगार, वस्त्र और आभूषणों की तैयारी भी जोरों पर है।

चंपत राय ने बताया कि तुलसीदास जी की मूर्ति पहले ही स्थापित की जा चुकी है और यात्री सुविधा केंद्र के मंडप में श्रद्धालु उनके दर्शन कर सकेंगे। 15 अप्रैल के बाद जयपुर से इन मूर्तियों को अयोध्या लाने का कार्य शुरू होगा। जैसे-जैसे मूर्तियां पहुंचेंगी, उन्हें निर्धारित स्थानों पर रखा जाएगा। कुल 18 प्रतिमाओं की स्थापना का कार्य लार्सन एंड टुब्रो द्वारा संपन्न किया जाएगा। 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर राम दरबार को प्रथम मंजिल के गर्भगृह में स्थापित कर दिया जाएगा। जून में ट्रस्ट के सभी सदस्यों की उपस्थिति में तीन दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजित होगा, जिसमें जलवास, अन्नवास, औषधिवास और शैय्यावास जैसे अनुष्ठान शामिल होंगे।

2025 तक पूरा होगा उत्तर व दक्षिणी हिस्से का निर्माण

शेषावतार मंदिर का कार्य बाद में शुरू होगा, जिसके लिए अंदर के टावर क्रेन हटाए जाएंगे। इसके बाद परकोटा के उत्तर और दक्षिण हिस्से का निर्माण शुरू होगा, राम मंदिर का निर्माण कार्य जो अक्टूबर 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है।

इन नामों की तर्ज पर होंगे द्वार

मंदिर (Ramlala Temple) में चार द्वार बनाए जा रहे हैं- उत्तरी दिशा का द्वार, क्रॉसिंग 11 का द्वार, क्रॉसिंग 3 का द्वार और राम जन्मभूमि का मुख्य प्रवेश द्वार। इन द्वारों के नाम रामानुज, शंकराचार्य, माधवाचार्य और रामानंदाचार्य की परंपराओं के आधार पर रखे जाएंगे, जो भारत की आध्यात्मिक एकता को दर्शाएंगे। महासचिव चंपत राय ने बताया कि शिखर का पूजन हो चुका है और भुज दंड सहित अन्य हिस्सों की स्थापना क्रमिक रूप से की जाएगी।

प्रयागराज के पुरंदर दास और गिलहरी की प्रतिमाएं भी मंदिर परिसर में स्थापित होंगी। योगी सरकार की सक्रिय भागीदारी से यह परियोजना न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और पर्यटन के लिहाज से भी अयोध्या को नई पहचान दे रही है। सरकार का लक्ष्य है कि यह मंदिर संपूर्ण भारत के लिए एकता और श्रद्धा का प्रतीक बने।

Exit mobile version