लखनऊ डेस्क। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक जी मनाई जानें वाली गुरु नानक जयंती को प्रकाश उत्सव के रूप में भी जाना जाता है, और यह सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। गुरु नानक जयंती खुशियों और आनंद का समय है, लेकिन यह उत्सव गुरु नानक देव की शिक्षाओं पर भी प्रकाश डालता है। इस मौके पर आइये janeजानें इनके जीवन का सिद्धांत –
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आपको बता दें सन् 1469 में गुरु नानक के जन्म से पहले, भारत को मूल रूप से जाति प्रथा के रूप में जानी जाने वाली सामाजिक श्रेणी द्वारा परिभाषित किया जाता था। इस प्रथा की वजह से गरीब लोग गरीब ही रहते थे और अमीर लोग निरंतर रूप से अपनी शक्ति को विस्तारित करते थे। चंद्र पंचांग प्रत्येक वर्ष बदलता है, इसलिए गुरु नानक जयंती ग्रेगोरियन पंचांग पर अक्टूबर या नवंबर के दौरान मनाई जाती है।
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जानकारी के मुताबिक गुरु नानक के सिद्धांत के अंतर्गत उनका जीवन ज्यादा बेहतर हो सकता है। इसके बाद जल्दी ही, गुरु नानक को कई लोगों के द्वारा एक नायक के रूप में देखा जाने लगा। गुरु नानक ने अपने अनुयायियों को यह शिक्षा भी दी कि उपवास और तीर्थस्थलों जैसे पारंपरिक साधनों के माध्यम से परमेश्वर से नहीं जुड़ा जा सकता है। उन्होंने अपने अनुयायियों को नैतिक जीवन का आनंद उठाते हुए प्रार्थना के माध्यम से परमात्मा से जुड़ने की सलाह दी।