नई दिल्ली। पटाखों का नाम आते ही। हर सभी के मन में प्रदूषण को लेकर एक बड़ी चिन्ता उभर आती है, लेकिन आने वाले समय में पटाखे प्रदूषण नहीं बल्कि खुशबू बिखेरते नजर आएंगे। अभी तक सभी लोग बारूद से बने पटाखों या फिर ग्रीन पटाखों के बारे में जानते हैं, लेकिन अब देश के वैज्ञानिकों ने पटाखों को लेकर चौंकाने वाली खोज की है। वैज्ञानिकों का दावा है कि अब गोमूत्र से बने पटाखे बाजार में मिलेंगे।
ग्रीन पटाखों के मुकाबले 50 प्रतिशत सस्ते होंगे गोमूत्र से बने पटाखे
यह पटाखे ग्रीन पटाखों के मुकाबले 50 प्रतिशत सस्ते होंगे। इसके साथ ही यह बिल्कुल भी प्रदूषण नहीं करेंगे। वैज्ञानिकों का दावा है कि इनको चलाने पर खुशबू आएगी। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आईआईएसईआर) के वैज्ञानिकों ने मोहाली में ऐसे पटाखों का निर्माण कर लिया है।
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आईआईएसईआर की इसी टीम ने पहले बनाए थे ग्रीन पटाखे
आईआईएसईआर के वैज्ञानिकों की इसी टीम ने पिछले साल ग्रीन पटाखों का निर्माण किया था जो धुंआ नहीं फैलाते थे। साथ ही उनके चलने पर खुशबू आती थी, लेकिन ये पटाखे प्लास्टिक की बोतलों में थे। संस्थान के रसायन वैज्ञानिक प्रोफेसर समरथ घोष के अनुसार गोमूत्र से बने पटाखे भी ग्रीन पटाखों की श्रेणी में ही होंगे, लेकिन यह 50 प्रतिशत सस्ते होंगे। अब संस्थान इनका निर्माण बड़े स्तर पर करने के बारे में विचार कर रहा है।
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आईआईएसईआर के वैज्ञानिकों ने भी किया था निर्माण
प्रोफेसर समरथ घोष ने बताया कि आईआईएसईआर के वैज्ञानिकों ने भी ग्रीन पटाखों का निर्माण किया था जिनको अप्रैल के अंत तक सरकार से मान्यता मिलने की उम्मीद है। उनके ग्रीन पटाखे 25 से 30 प्रतिशत ही प्रदूषण में कमी करते हैं, लेकिन गोमूत्र से बने पटाखों से नाममात्र का भी प्रदूषण नहीं होगा। उन्होंने कहा कि दीवाली में अभी छह माह से ज्यादा का समय है। ऐसे में हमारे पास इतना समय है कि जल्द से जल्द हम इनका ज्यादा से ज्यादा प्रोडक्शन कर सकें।