नई दिल्ली। देश के छोटे शहरों और कस्बों में रहने वाली बेटियां भी बड़े मुकाम हासिल कर सकती हैं। बस उन्हें एक मौका मिलने का अवसर चाहिए। ऐसा ही एक मौका यूपी के गोरखपुर में रहने वाली आयशा खान को मिला तो उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा सात समुंदर पार तक में मनवा दिया।
ब्रिटेन सरकार ने आयशा की प्रतिभा को सलाम करते हुए उन्हें एक दिन के लिए भारत में अपना उच्चायुक्त बनाकर सम्मान से नवाजा
गोरखपुर की बेटी आयशा की प्रतिभा को ब्रिटेन सरकार ने भी सलाम करते हुए उन्हें एक दिन के लिए भारत में अपना उच्चायुक्त बनाकर सम्मान से नवाजा। अपनी इस उपलब्धि से आयशा तो काफी खुश हैं ही। उनके परिवार के साथ पूरा गोरखपुर आयशा की उपलब्धि की तारीफ करते नहीं थक रहा है। पढ़ाई में बचपन से ही होशियार आयशा को यह गौरव अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर मिला । इस मौके पर ब्रिटिश उच्चायोग की ओर से दुनियाभर में 18 से 23 साल की लड़कियों के लिए आयोजित होने वाली प्रतियोगिता को जीता। इस उपलब्धि को हासिल करने के बाद गोरखपुर के शिवपुर शहबाजगंज में रहने वालीं आयशा के घर में बधाई देने वालों का तांता लगा । बेटी की उपलब्धि पर आयशा की मां सीमा खान भी फूली नहीं समाई। सीमा खान ने बताया कि उनकी बेटी पढ़ाई में शुरू से अव्वल रही है। वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में उसकी खास दिलचस्पी रही है।
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आयशा के पिता जुनैद अहमद बैंक में मैनेजर, बहन डेंटिस्ट
एक दिन के लिए ब्रिटिश उचायुक्त बनने वाली आयशा की मां सीमा खान एक कुशल गृहणी हैं। जबकि पिता जुनैद अहमद खान पूर्वांचल बैंक की जैतपुर शाखा में मैनेजर हैं। आयशा की बड़ी बहन जुवेरिया खान डेंटिस्ट हैं। वह फिलहाल दुबई में रह रही हैं।
आयशा की मां और पिता चाहते हैं कि उनकी बेटी आईएएस बने
गोरखपुर के कार्मल में हाईस्कूल की पढ़ाई के दौरान वह प्रथम स्थान पर रही थी। इसके बाद आयशा ने सेंट जोंस स्कूल खोराबार से इंटरमीडिएट की परीक्षा में उन्होंने 94 प्रतिशत अंक हासिल किए। वर्तमान में आयशा दिल्ली में रहकर पत्रकारिता की पढ़ाई कर रही हैं। आयशा की मां और पिता चाहते हैं कि उनकी बेटी आईएएस बने।
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर हुई प्रतियोगिता जीत हासिल किया गौरव
ब्रिटिश उच्चायोग हर साल बालिका दिवस के मौके पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लड़कियों के लिए एक दिन का ब्रिटिश उच्चायुक्त बनने की प्रतियोगिता में विजेता को बकायदा उच्चायोग में पूरे दिन उच्चायुक्त का पद सौंपा जाता है। आयशा को भी बीते चार अक्तूबर को एक दिन के लिए उच्चायुक्त बनने का मौका मिला। इस दौरान उन्होंने उच्चायोग के अंदर बैठकें करने के साथ ही कुछ बाहरी समारोहों में भी हिस्सा लिया। पत्रकारिता में मास्टर डिग्री कर रहीं आयशा अध्यापन या कानून के क्षेत्र में अपना मुकाम बनाना चाहती हैं।