धनलक्ष्मी को टोक्यो ओलंपिक में भारतीय दल में विकल्प के तौर पर रखा गया था। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के खेलों में बेहतर प्रतिनिधित्व मिलना शुरू हो गया है, उनके मुताबिक पहले राज्य के खिलाड़ियों ओलंपिक में पहले ज्यादा हिस्सा नहीं लिया, लेकिन धीरे-धीरे इस परंपरा में बदलाव आया है और उम्मीद है कि आने वाले समय में राज्य के खिलाड़ियों की संख्या ओलंपिक में बढ़ेगी।
ये बातें चल ही रही थीं कि अचानक धनलक्ष्मी रोने लगीं। उनको रोता देख वहां पर मौजूद लोग हैरान रह गए। दरअसल उन्हें पता चला कि जब वह टोक्यो में थीं तो उस समय उनकी बहन का बीमारी के चलते निधन हो गया। लेकिन उनकी मां ने धनलक्ष्मी को यह जानकारी नहीं दी और छुपा ली। मां का भी मानना था अगर यह जानकारी धनलक्ष्मी को दूंगी तो उसका ध्यान खेल से भटक सकता है।
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बहन के निधन की जानकारी मिलने बाद धनलक्ष्मी फूट-फूट कर रोने लगीं वह घुटनों के बल बैठ गईं। वहां पर मौजूद लोगों ने किसी तरह से उनको संभाला। धनलक्ष्मी को तमिलनाडु से एथलेटिक्स का उभारत हुआ सितारा माना जा रहा। ऐसा में उनकी मां ऊषा और परिवार के अन्य लोगों ने उनके ओलंपिक में भाग लेने और खेलने के महत्व को समझा शायद इसलिए बहन ने निधन की जानाकरी धनलक्ष्मी को नहीं दी।