लखनऊ डेस्क। 2 सितंबर को गणेश चतुर्थी के साथ गणपति की आराधना का उत्सव देश भर में आरंभ हो जाएगा। प्रत्येक शुभ कार्य में सबसे पहले भगवान गणेश की ही पूजा की जाती अनिवार्य बताई गयी है। गणेश जी को बुध का कारक देव माना जाता है, इसीलिए बुधवार को भगवान गणेश का वार माना जाता है।
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आपको बता दें गणेश भगवान की पूजा विधि प्रात: काल स्नान ध्यान आदि से शुद्ध होकर सर्वप्रथम ताम्र पत्र के श्री गणेश यन्त्र को साफ मिट्टी, नमक, निम्बू से अच्छे से साफ किया जाए। पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की और मुख कर के आसान पर विराजमान हो कर सामने श्री गणेश यन्त्र की स्थापना करें। शुद्ध आसन में बैठकर सभी पूजन सामग्री को एकत्रित कर पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन, मोदक आदि गणेश भगवान को समर्पित कर, इनकी आरती की जाती है। अंत में भगवान गणेश जी का स्मरण कर ‘ऊँ गं गणपतये नम:’ का 108 नाम मंत्र का जाप करना चाहिए।
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जानकारी के मुताबिक इस दिन भगवान की पूजा सच्चे मन से करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। साथ ही अगर आपकी कुंडली में बुध ग्रह अशुभ स्थिति में है तो इस दिन पूजा करने से वह भी शांत हो जाता है।