फ्यूचर-रिलायंस रिटेल मर्जर डील से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फ्यूचर ग्रुप की संपत्ति जब्त करने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई। फ्यूचर ग्रुप के मालिक किशोर बियानी को राहत मिली। दिल्ली हाईकोर्ट की सिंगल जज बेंच ने संपत्ति कुर्क करने का आदेश दिया था। इसने फ्यूचर समूह की फर्मों और प्रमोटरों को इमरजेंसी मध्यस्थ पुरस्कार का उल्लंघन करने को लेकर हलफनामा दाखिल करने को कहा था।
सिंगापुर इमरजेंसी आर्बिट्रेटर का फैसला अमेजन के पक्ष में आया था। इसके बाद फ्यूचर ग्रुप इस आदेश को रुकवाने के लिए एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट गया था। गुरुवार को उसकी याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन वी रमना की अगुआई वाली बेंच ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल, कंपीटिशन कमीशन ऑफ इंडिया और मार्केट रेगुलेटर सेबी को मर्जर डील के संबंध में अगले चार सप्ताह तक कोई अंतरिम आदेश जारी न करने को कहा है। इसके साथ ही हाई कोर्ट में भी इस मामले में किसी भी कार्यवाही पर रोक लगा दी है।
फ्यूचर रिटेल्स लिमिटेड और फ्यूचर कूपन्स प्राइवेट लिमिटेड ने हाई कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमें कहा गया था कि वह रिलायंस और फ्यूचर के सौदे को रोकने के आदेश को लागू करेगा। हाई कोर्ट के सिंगल बेंच ने सिंगापुर की अदालत के आदेश के मुताबिक रिलायंस और फ्यूचर के सौदे को रोकने का आदेश दिया थाहाई कोर्ट ने सिंगल जज बेंच के आदेश को ही पुनर्जीवित किया था जिसमें फ्यूचर कूपन, फ्यूचर रिटेल, किशोर बियानी एसेट्स को कुर्क करने का निर्देश दिया गया था। फ्यूचर कूपन ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी, जिसने बियानी, अन्य फ्यूचर डायरेक्टर्स को सिविल अरेस्ट के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने कहा था कि क्यों न उनकी संपत्ति जब्त कर ली जाए।
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बेंच ने इस मामले में फ्यूचर रिटेल लिमिटेड और फ्यूचर कूपन्स प्राइवेट लिमिटेड की ओर से पेश हुए सीनियर वकील हरीश साल्वे और मुकल रोहतगी के बयानों पर गौर करने के बाद कहा कि आर्बिट्रेटर ने अभी अपना अंतिम फैसला नहीं दिया है। उसने इस केस में दोनों पक्षों ( अमेजन और फ्यूचर) का पक्ष सुनने के बाद अपना अंतिम फैसला सुरक्षित रखा है।