dead bodies

नदियों में लाशों का मिलना बेहद चिंताजनक

838 0

नदियों में शवों (dead bodies) की बरामदगी चिंता का विषय है। यह नदी के जल को प्रदूषित करन का मामला तो है ही, जिम्मेदारियों से भागने की मानवीय प्रवृत्ति का भी द्योतक है। बिहार के बक्सर जिले में गंगा से अभी तक कुल 73 शव निकाले गए हैं । ऐसी आशंका है कि ये शव (dead bodies)  कोरोना संक्रमितों के  हैं और इनका अंतिम संस्कार करने की बजाय परिजनों ने उन्हें गंगा में बहा दिया होगा। इसी तरह गाजीपुर और बलिया में भी 50 से अधिक शवमिले हैं।

दोनों राज्यों के जिम्मेदार यह बताने और जतानेमें जुटे हैं कि उक्त शव पड़ोसी राज्यों से बहकर आए हैं। शव कहां से आए और कहां बरामद हुए, यह उतना मायने नहीं रखता जितना यह कि जीवनदायिनी गंगा की स्वच्छता और निर्बाध प्रवाह  की चिंता किए बगैर कुछ लोगों ने इस तरह का आचरणकिया। कोरोना संक्रमण के भय से लोग  जिस तरह शवों से मुंह मोड़ रहे हैं। उनके अंतिम संस्कार तक से बचरहे हैं, अमानवीयता और संबंधों के क्षरणका इससे अधिक विद्रूप भला और क्या हो सकता है?  हमीरपुर में पिछले दिनों यमुना में बड़ी संख्या में शव मिले थे। आज बलिया और गाजीपुर में शव मिले हैं। भारत सहकार का देशहै जहां साथ –साथ चलने, बैठने और काम करने की मान्यता है। उस देश में अपनों का इतना बेगानापन समझ से परे है और अब तो कोरोना संक्रमितों की तादाद भी घट रही है। सेना, सरकार और अन्य सरकारी संस्थानों का सहयोग मिल रहा है लेकिन इसके बाद भी इस तरह का असुरक्षा भाव किसी भी लिहाज से शोभनीय नहीं है।

Central Vista के खिलाफ याचिका परियोजना बाधित करने की एक और कोशिश: केंद्र

खबर आ रही कि जेल में मृत बंदी को कर्मचारी अस्पताल के गेट पर छोड़ गए। इससे भारत की विश्व पटल पर क्या छवि बनेगी, विचार तो इस बिंदु पर भी किया जानाचाहिए।   लाशों (dead bodies)  के अंतिम संस्कार में कई तरह की बाधाएं हैं। विशेष बाधा आर्थिक है। सरकार को भी इस मुद्देपर विशेष ध्यान देना चाहिए। देश महामारी, बेरोजगारी और हताशा उस मुकाम पर खड़ा है जहां से निकलना बड़ी चुनौती है, लेकिन मानव समाज का इतिहास चुनौतियों से जूझने और पार पाने का है। यही कारण है कि धरती पर मानव सभ्यता लगातार विकसित और समृद्ध हुई है। कोरोना बार-बार आता है और हमारे हेल्थकेयर इन्फ्रा से लेकर शरीर की प्रतिरोधक क्षमता तक को चमका देता है , कठिन दौर में बार-बार अग्नि परीक्षा ले रहा है। लेकिन एक दिन कोरोना हरेगा और  मानव समाज का संगठित प्रयास, चुनौतियों से जूझने का जज्बा और जीवन की सतत् परम्परा को जिंदादिली के साथ प्रवाहमान बनाये रखने की कला, इस अग्नि परीक्षा में पास होगी। हमने डीआरडीओ के बारे में पढ़ा है, एचएएल के बारे में भी जानते हैं।

यह संस्थान मिसाइल और फाइटर प्लेन बनाते हैं, लेकिन  संकट की घड़ी में अपनी इंजीनियरिंग एवं वैज्ञानिक प्रतिभा का उपयोग अस्पताल चलाने और ऑक्सीजन प्लांट लगाने में कर रहे हैं ताकि कोरोना से उखड़ती सांसों को जीवनदायी ऑक्सीजन प्रदान कर जीवन रक्षा की सके। संकट के दौर में महाशक्ति अमरीका सहित छोटे से भूटान तक भारत को बचाने में लगे हैं। भारत, फ्रांस, ब्रिटेन, अमरीका सहित कई देशों की वायु सेनाएं वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सिलेण्डर, ऑक्सीजन कंटेनर, ऑक्सीजन कंसन्टेटर, दवा, पीपीई किट जैसी तमाम राहत सामग्री पहुंचा रहे हैं ताकि अधिक से अधिक लोगों को इलाज मिल सके। मानव समाज की रक्षा के लिए देश-दुनिया के कारपोरेट भी पीछे नहीं हैं। अपने-अपने स्तर पर जितना हो सकता है, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, दवाएं और गरीबों की मदद में जुटी हैं।

प्राचीन झाड़ी वाले हनुमान मंदिर में लूटपाट, सात साधु बेहोश मिले

कोरोना महमारी पर चौतरफा प्रहार हो रहा है। मानवता को बचाने के लिए लगता है पूरी दुनिया एकजुट हो गयी है। सामूहिक प्रयास से मानव समाज की रक्षा करने का यह अद्भुत संकल्प अब अपने मिशन में कामयाब होता भी दिख रहा है। देश में कोरोना की दूसरी लहर जितनी भयावह है उतनी ही तीब्रता के साथ चौतरफा प्रहार हो रहा है। भारत अपने तमाम संसाधनों के साथ इसे खत्म करने में जुटा है, तो संकट की इस घड़ी में पूरी दुनिया के साथ कई देशों की सेनाएं भी मदद कर रही है, कोरोना पर हो रहे  प्रहार और सामूहिक प्रयासों से अंधकार के बीच उम्मीद की किरण भी अब दिखने लगी है। वैक्सीनेशन को लेकर देश में बहुत हिचक थी, लोग टीका लगवाने से डर रहे थे और इस पर शर्मनाक राजनीति भी हो रही थी, लेकिन जब संकट आया तो सारा डर काफुर हो गया है, वैक्सीन सेंटर्स पर लंबी कतारें लग रही हैं। कई राज्यों में लॉकडाउन है और इसका असर भी दिखने लगा है। देश के करीब आधे राज्य कोरोना की दूसरी लहर को पीक-आउट कर गये हैं या होने वाले हैं। कुछ दिन पहले तक ऑक्सीजन और दवा के लिए तात्रिमाह-त्राहिमाम हो रहा था, लेकिन अब स्थितियां तेजी से सामान्य हो रही हैं। ग्रामीण क्षेत्र जरूर संकट में हैं लेकिन संकट बढ़ने के साथ वहां भी जागरुकता बढ़ेगी और लोग तेजी से बचाव के उपाय अपनायेंगे जिससे कोरोना को खत्म करने में मदद मिलेगी। कुल मिलाकर कोरोना भले आज भयावह रूप में हमारे सिर पर है लेकिन इसकी उम्र लंबी नहीं होगी। कोरोना मरेगा और मानव समाज फिर जिंदादिली के साथ गतिशील होगा।

Related Post

YEIDA

नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट और इंटरनेशनल फिल्म सिटी के करीब ‘अपने घर’ का सपना पूरा कर रही योगी सरकार

Posted by - September 20, 2024 0
ग्रेटर नोएडा। दिल्ली एनसीआर में रहना हर किसी का सपना होता है और अगर वो घर इंटरनेशनल एयरपोर्ट, फिल्म सिटी…
CM Yogi in Varanasi

कई राष्ट्र प्रधानमंत्री को अपने देश का सर्वोच्च सम्मान देने के लिए उतावले: सीएम योगी

Posted by - June 26, 2023 0
लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश के 9 साल बेमिसाल और खुशहाल रहे हैं। खुशहाली का मानक सुरक्षा,…