INTERNATIONAL DAY OF FOREST

विश्व वानिकी दिवस: वनों की सेहत की भी करनी होगी चिंता

847 0

देहरादून। (Forestry Day 2021) वन प्रदेश कहे जाने उत्तराखंड को वनों के स्वास्थ्य की भी चिंता करनी होगी। वनाग्नि से लेकर भू कटाव, लेंटाना, काला बांस आदि का बढ़ना, जल स्रोतों के सूखने, बांज, बुरांश और बुग्यालों पर संकट आदि मुख्य चुनौतियां हैं जिनका सामना प्रदेश के वनों को करना पड़ रहा है। 

वनाग्नि की समस्या प्रदेश के सामने कई कारणों से बढ़ती जा रही है। मौसम में हो रहे बदलाव के कारण यह समस्या विकराल रूप धारण कर रही है। सर्दियों में भी इस बार जंगल जले और यह सिलसिला लगातार जारी है।

लेंटाना, काला बांस जैसी समस्याएं भी वनों की सेहत से खिलवाड़ का कारण बन रही है। वन विभाग के मुताबिक इस तरह की खरपतवार का लगातार फैलाव हो रहा है। लेंटाना और काला बांस आदि को खत्म करने के लिए वन विभाग को लगातार बपना बजट भी बढ़ाना पड़ रहा है।

सतपाल महाराज ने पत्नी संग लगवाई कोरोना वैक्सीन

स्वस्थ वनों के सामने एक चुनौती भू कटाव की भी है। शिवालिक में भू कटाव की दर सबसे अधिक पाई गई है। वनाग्नि के बढ़ते मामलों के कारण यह समस्या भी लगातार बढ़ रही है। मौसम में बदलाव के कारण बारिश के पानी से भू क्षरण बढ़ रहा है।

अन्य चुनौतियां भी हैं वनों के सामने

1. लोगों का लगाव वनों के प्रति कम हो रहा है। ऐसे में वन संरक्षण के मामले में वन विभाग को अपने संसाधनों पर निर्भर रहना पड़ रहा है जो कि काफी कम हैं।
2. शहरीकरण और विकास योजनाओं के लिए वन भूमि की दरकार है। 2015 से लेकर 2019 के बीच में करीब 2850 हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग विकास कार्य के लिए किया गया।
3. वनों पर प्रदेश के कई लोगों की निर्भरता लगातार बनी हुई है। लकड़ी के अलावा चारा, जड़ी बूटी आदि भी वनों से लिया जा रहा है।
4. जल स्रोतों का कम होना भी वनों के स्वास्थ्य के सामने बड़ी चुनौती है। नीति आयोग की एक रिपोर्ट में भी इस ओर इशारा किया गया है।
5. वन पंचायतों का अधिकतम उपयोग न होना पाना भी एक चुनौती है। प्रदेश में 12000 से अधिक वन पंचायतें हैं और इनके अधीन 7.32 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र इनके अधीन हैं।

करीब 61 प्रतिशत वन अति संवेदनशील

एक शोध के मुताबिक प्रदेश में करीब 61 प्रतिशत वन वनाग्नि, भू कटाव सहित अन्य समस्याओं को लेकर अति संवेदनशील हैं। इसी तरह 36 प्रतिशत वन संवेदनशील पाए गए हैं। साफ है कि वनों की सेहत पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में प्रदेश को अपनी बहुमूल्य वन संपदा का नुकसान उठाना पड़ सकता है।

राजीव भरतरी, मुखिया वन विभाग के अनुसार-
वनों पर दबाव बढ़ने से इनकार नहीं किया जा रहा है। प्रदेश में इस समस्या के समाधान के कोशिश भी की जा रही है। लेंटाना, काला बांस सहित अन्य खरपतवार को समाप्त करना, पौधरोपण आदि को तवज्जो दी जा रही है। वनाग्नि एक बड़ी समस्या है। इस बार विश्व वानिकी दिवस पर स्वस्थ वन, स्वस्थ जीवन का स्लोगन इसलिए दिया गया है।

Related Post

थैंक्स हरदा ! बोले अटल के परिजन

Posted by - August 7, 2021 0
भाजपा की पूर्ववर्ती  भारतीय जनसंघ के स्थापना-पुरुष पं. दीनदयाल उपाध्याय के प्रपौत्र न्यायविद चंद्रशेखर पंडित भुवनेश्वर दयाल  उपाध्याय (c s…
CM Dhami

बैडमिंटन क्लब की वार्षिक स्मारिका प्रयास का सीएम धामी ने किया विमोचन

Posted by - March 22, 2023 0
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Dhami) की ओर से बुधवार को सचिवालय बैडमिंटन क्लब की वार्षिक स्मारिका प्रयास का…
इंदिरा जयसिंह जैसी औरतों की कोख से पैदा होते हैं दुष्कर्मी

पंगा : कंगना रनौत बोलीं-इंदिरा जयसिंह जैसी औरतों की कोख से पैदा होते हैं दुष्कर्मी

Posted by - January 23, 2020 0
नई दिल्ली। बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत अक्सर अपने बेबाक बयान देने के लिए जानी जाती हैं। इस बार कंगना सुप्रीम…