देहरादून। (Forestry Day 2021) वन प्रदेश कहे जाने उत्तराखंड को वनों के स्वास्थ्य की भी चिंता करनी होगी। वनाग्नि से लेकर भू कटाव, लेंटाना, काला बांस आदि का बढ़ना, जल स्रोतों के सूखने, बांज, बुरांश और बुग्यालों पर संकट आदि मुख्य चुनौतियां हैं जिनका सामना प्रदेश के वनों को करना पड़ रहा है।
वनाग्नि की समस्या प्रदेश के सामने कई कारणों से बढ़ती जा रही है। मौसम में हो रहे बदलाव के कारण यह समस्या विकराल रूप धारण कर रही है। सर्दियों में भी इस बार जंगल जले और यह सिलसिला लगातार जारी है।
लेंटाना, काला बांस जैसी समस्याएं भी वनों की सेहत से खिलवाड़ का कारण बन रही है। वन विभाग के मुताबिक इस तरह की खरपतवार का लगातार फैलाव हो रहा है। लेंटाना और काला बांस आदि को खत्म करने के लिए वन विभाग को लगातार बपना बजट भी बढ़ाना पड़ रहा है।
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स्वस्थ वनों के सामने एक चुनौती भू कटाव की भी है। शिवालिक में भू कटाव की दर सबसे अधिक पाई गई है। वनाग्नि के बढ़ते मामलों के कारण यह समस्या भी लगातार बढ़ रही है। मौसम में बदलाव के कारण बारिश के पानी से भू क्षरण बढ़ रहा है।