इंदौर। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि वो अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। सुषमा ने मंगलवार को इंदौर में ये घोषणा की। उन्होंने इसके पीछे अपने स्वास्थ्य का हवाला दिया है। सुषमा ने कहा है कि इस तरह के फैसले पार्टी करती है, लेकिन मैंने अगला चुनाव नहीं लड़ने का मन बना लिया है। सुषमा मध्यप्रदेश के विदिशा से लोकसभा सदस्य हैं। वे देश की सबसे युवा विधायक और किसी राज्य की सबसे युवा कैबिनेट मंत्री रह चुकी हैं।
सुषमा 2009 और 2014 में विदिशा से लोकसभा चुनाव जीतीं। 2014 में उन्होंने कांग्रेस के लक्ष्मण सिंह को चार लाख से ज्यादा वोट से हराया था। सुषमा ने सबसे पहला चुनाव 1977 में लड़ा। तब वे 25 साल की थीं। वे हरियाणा की अंबाला सीट से चुनाव जीतकर देश की सबसे युवा विधायक बनीं। उन्हें हरियाणा की देवीलाल सरकार में मंत्री भी बनाया गया। इस तरह वे किसी राज्य की सबसे युवा मंत्री रहीं।
नब्बे के दशक में सुषमा राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हो गईं। अटलजी की सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया। 1998 में उन्होंने अटलजी की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया और दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। हालांकि, इसके बाद हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा हार गई। पार्टी की हार के बाद सुषमा ने विधानसभा की सदस्यता छोड़ दी और राष्ट्रीय राजनीति में लौट आईं।
1996 में हुए लोकसभा चुनाव में सुषमा दक्षिण दिल्ली से सांसद बनी थीं। इसके बाद 13 दिन की अटलजी की सरकार में उन्हें केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाया गया। मार्च 1998 में दूसरी बार अटलजी की सरकार बनने पर वे एक फिर से आईबी मिनिस्टर बनीं। 1999 में उन्होंने बेल्लारी लोकसभा सीट पर सोनिया के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन वे यहां हार गईं।
सुषमा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा- कांग्रेस पार्टी के सामने सबसे बड़ी दुविधा यह है कि वह राहुल गांधी को जनता के सामने किस रूप में पेश करे। राहुल कभी मंदिर जाते हैं, तो कभी मानसरोवर चले जाते हैं। वे खुद को जनेऊधारी ब्राह्मण कहते हैं। उन्होंने कहा कि शिवराज सरकार ने मप्र में विकास के कई कार्य किए हैं। उनके खिलाफ किसी भी प्रकार की कोई विरोधी लहर नहीं है। सत्ता विरोधी लहर तब होती, जब सामने कोई बड़ा नेतृत्व होता है।