नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुंबई में उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करते हुए कहा कि 2019-20 में राजकोषीय घाटा 3.8 फीसदी (संशोधित अनुमान) रहने का अनुमान है और 2020-21 में यह 3.5 फीसदी रह सकता है।
आर्थिक सुधारों से आगे अच्छा फायदा मिलने की उम्मीद
एक फरवरी 2020 को पेश हुए बजट के दौरान कहा गया था कि सरकार ने इसके लिए वित्तीय दायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम के अंतर्गत ‘एस्केप क्लॉज’ का इस्तेमाल किया है, जो मुश्किल दौर में राजकोषीय घाटा बढ़ाने की स्वतंत्रता देता है। सरकार का अनुमान है कि जीएसटी जैसे कर सुधारों के चलते कर संग्रह बढ़ोतरी में अभी वक्त लग सकता है। लेकिन आर्थिक सुधारों से आगे अच्छा फायदा मिलने की उम्मीद है।
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चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे का 3.8 फीसदी का संशोधित लक्ष्य भी महत्वाकांक्षी
वहीं भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) रिसर्च ने एक रिपोर्ट में कहा गया था कि यह लक्ष्य चालू वित्त वर्ष के आखिरी दो महीनों में विनिवेश से करीब 65,000 करोड़ रुपये मिलने और कर संग्रह से राजस्व प्राप्ति में 18 फीसदी की वृद्धि के अनुमान पर आधारित है। चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे का 3.8 फीसदी का संशोधित लक्ष्य भी महत्वाकांक्षी है। इस लक्ष्य को पाना सरकार के लिए आसान नहीं नजर आ रहा है।
दिसंबर तक कर संग्रह से राजस्व प्राप्ति में महज 5.1 फीसदी की वृद्धि रही
हालांकि, दिसंबर तक कर संग्रह से राजस्व प्राप्ति में महज 5.1 फीसदी की वृद्धि रही है। चालू वित्त वर्ष के शुरुआती 10 महीनों में विनिवेश से सिर्फ 17,800 करोड़ ही मिल सके हैं। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को संशोधित कर जीडीपी के 3.8 फीसदी करने का प्रस्ताव दिया। पहले के अनुमान में राजकोषीय घाटा 3.3 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था।