नई दिल्ली। भारत में क्रिकेट की शुरुआती महिला कमेंटेटर चंद्रा नायडू (Chandra Naidu) का रविवार को यहां लंबी बीमारी के बाद 88 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वो देश के पहले टेस्ट कप्तान सीके नायडू की बेटी थीं। चंद्रा नायडू (Chandra Naidu) के भतीजे और पूर्व घरेलू क्रिकेटर विजय नायडू ने बताया कि उनकी मौसी ने यहां मनोरमागंज स्थित अपने घर में आखिरी सांस ली।
उन्होंने बताया कि चंद्रा नायडू (Chandra Naidu) लंबे समय से उम्र संबंधी व्याधियों से जूझ रही थीं और बीमार होने के कारण चल-फिर नहीं पाती थीं। वे अविवाहित थीं और घरेलू सहायिकाएं बरसों से उनकी देखभाल कर रही थीं। क्रिकेट के जानकारों के मुताबिक, चंद्रा नायडू भारत की शुरुआती महिला कमेंटेटरों में से एक थीं।
उन्होंने नेशनल चैम्पियंस बॉम्बे और एमसीसी की टीमों के बीच इंदौर में वर्ष 1977 में खेले गए क्रिकेट मैच में पहली बार कमेंट्री की थी। हालांकि, चंद्रा नायडू क्रिकेट कमेंटेटर के रूप में पेशेवर तौर पर लम्बे समय तक सक्रिय नहीं रही थीं।
वह इंदौर के शासकीय कन्या महाविद्यालय से अंग्रेजी की प्रोफेसर के रूप में सेवानिवृत्त हुई थीं। चंद्रा नायडू वर्ष 1982 में लॉर्ड्स क्रिकेट मैदान पर भारत और इंग्लैंड के बीच खेले गए स्वर्ण जयंती टेस्ट मैच की गवाह बनी थी। वहां उन्होंने लॉर्ड्स कमेटी रूम में एक कार्यक्रम को संबोधित भी किया था।
उन्होंने अपने पिता के जीवन पर सीके नायडू : ए डॉटर रिमेम्बर्स नाम की पुस्तक लिखी थी। इस बीच, बीसीसीआई के पूर्व सचिव संजय जगदाले ने चंद्रा नायडू के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि वह देश के महिला जगत में क्रिकेट कमेंट्री की पुरोधा थीं और उन्होंने अपने मध्यप्रदेश में महिला क्रिकेट को आगे बढ़ाने में भी योगदान किया था।
उन्होंने कहा, मुझे याद है कि अलग-अलग शहरों में आयोजित मैचों के लिए चंद्रा नायडू राज्य की महिला क्रिकेट टीमों के साथ प्रबंधक तथा अन्य भूमिकाओं में जाती थीं और खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाती थीं।