तीनों बेटियां आईएएस

पहले एक-एक कर IAS अधिकारी फिर मुख्य सचिव बन तीन बहनों ने रचा इतिहास

715 0

नई दिल्ली। वैसे तो किसी भी महिला या पुरुष के लिए केवल एक दिन नहीं होता, लेकिन फिर भी आज का दिन सभी महिलाओं के लिए बेहद अहम है, क्योंकि आज 8 मार्च यानि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। चूकिं आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है तो आज हम आपको ऐसी महिलाओं के बारे में बताएंगे जो आज हमारे बीच एक मिसाल की तरह कायम हैं।

दरअसल, पंजाब विश्वविद्यालय के दिवंगत प्रोफेसर जेसी आनंद की तीन बेटियां एक-एक कर आईएएस अधिकारी बनीं और फिर हरियाणा प्रशासन के सर्वोच्च पद पर पहुंचीं। तीनों ही राज्य की मुख्य सचिव बनीं।

प्रदेश के 33 मुख्य सचिवों में इन बहनों के अलावा एक ही और महिला अधिकारी शामिल हैं। 1972 बैच की प्रोमिला इस्सर इस पद पर रहीं। इन तीनों बहनों की उपलब्धियां हर उस परिवार के लिए प्रेरणा है जहां बेटियां हैं।

दूसरे घरों में भेदभाव देखते थे, हमारे यहां ऐसा कुछ नहीं था

मीनाक्षी आनंद चौधरी- 1969 बैच की आईएएस

मीनाक्षी आनंद चौधरी नवंबर 2005 से अप्रैल 2006 तक मुख्य सचिव रहीं।

मीनाक्षी आनंद चौधरी का कहना है कि अपने घर में मैंने कभी नहीं सुना कि हम लड़कियां हैं और किसी से कुछ कम हैं। आसपास के घरों में हमें भेदभाव होता दिखता था। शायद यह भी एक वजह थी कि हम अपने लक्ष्य की ओर आसानी से बढ़ सके। फिर हम क्यों रुकतीं? हमें रोकने वाली कोई बाधा तो सामने हो?

मीनाक्षी का संदेश

लड़कियां आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए जब अपनी भूमिका, समाज व परिवार का योगदान समझें और खुद को महत्व दें।

पुरुषों से ज्यादा खुद को साबित करना होता है

उर्वशी गुलाटी- 1975 बैच की आईएएस

उर्वशी गुलाटी अक्तूबर 2009 से मार्च 2012 तक हरियाणा की मुख्य सचिव थीं।

उर्वशी गुलाटी कहती है कि हमारे माता-पिता कोई भेदभाव नहीं करते थे और मानते थे कि शिक्षा मिले तो कोई भी आत्मनिर्भर हो सकता है। हालांकि प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर मैंने भेदभाव महसूस किया। दरअसल अगर अधिकारी एक महिला है तो उसके हर काम पर नजर रखी जाती है। आपको हर काम में पुरुष आईएएस अधिकारियों से ज्यादा अपनी प्रतिभा और काबिलियत साबित करनी होती है।

कामकाजी महिलाओं को क्या चाहिए? ‘सुरक्षा’

महिलाएं घर से निकलकर अपनी पूरी क्षमता से आज भी काम नहीं कर पा रही हैं तो इसकी प्रमुख वजह सुरक्षा की कमी है।

योग और काढ़ा है कोरोनावायरस का रामबाण इलाज : बाबा रामदेव

उर्वशी गुलाटी का संदेश

इसमें शक नहीं कि समाज का दृष्टिकोण बदला है। मौजूदा पीढ़ी आत्मविश्वास से लबरेज है, लेकिन मुझे यह कहने में हिचक नहीं है कि समाज में लड़कियों से भेदभाव होते रहे हैं।

ऐसा भी कोई काम है जो लड़कियां नहीं कर सकतीं?

केशनी आनंद अरोड़ा- 1983 बैच की आईएएस

केशनी आनंद अरोड़ा जून 2019 में मुख्य सचिव बनीं, 30 सितंबर 2020 तक इस पद पर रहेंगी।

केशनी आनंद अरोड़ा ने कहा कि हम तीनों ही बहनों ने ऐसे प्रदेश में उपलब्धि हासिल की, जिसकी लैंगिक अनुपात के पैमाने पर देश में स्थिति खराब है। हालांकि अब इसमें सुधार आया है। लेकिन घरों में सुधार के लिए वह मानसिकता बदलनी होगी, जिसमें लड़कियों को बोझ समझा जा रहा है। मेरा कोई भाई नहीं था, लेकिन बड़ी बहनों की शानदार प्रतिभा ने मुझे प्रेरित किया।

तीनों बहनों के लिए कोई काम असंभव नहीं रहा। माता-पिता ने किसी काम को लड़के और लड़की की सोच के साथ हमें नहीं सौंपा। अपने कॅरिअर में भेदभाव हुआ भी होगा तो मैंने उसे कभी इतनी तवज्जाे नहीं दी  कि उसका कोई असर हो।

केशनी आनंद अरोड़ा का संदेश

ऐसा कोई लक्ष्य नहीं, जो असंभव है। महिलाओं से यही कहूंगी कि अगर वे देश और समाज के लिए कोई योगदान देना चाहती हैं तो पूरे प्रयास करें, महिला होने की वजह से झिझकें नहीं।

Related Post

CM Dhami

सीएम धामी ने उत्तरायणी मेले का किया शुभारंभ, चम्पावत को दी करोड़ों की सौगात

Posted by - January 15, 2023 0
चम्पावत। मुख्यमंत्री (CM Dhami) ने हरेला क्लब टनकपुर के आयोजित उत्तरायणी कौतिक मेले का फीता काटकर दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ…

J-K एनकाउंटर : शोपियां में लश्कर के तीन आतंकी ढेर, बडगाम में जवान शहीद

Posted by - February 19, 2021 0
श्रीनगर । जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) के शोपियां में सुरक्षाबलों ने लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकियों को मार गिराया है।  जानकारी…