नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन कोरोनावायरस को वैश्विक महामारी घोषित कर चुका है। इस वायरस ने अब तक दुनिया भर में 4300 से ज्यादा लोगों की जान ले ली है। इस खतरनाक वायरस की काट खोजने में दुनियाभर के वैज्ञानिक जुटे हुए हैं। इस दौरान रेडियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका ने कोरोनावायरस से प्रभावित फेफड़े की 3D तस्वीर जारी की है।
रेडियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका ने कोरोनावायरस से प्रभावित फेफड़े की 3D तस्वीर जारी की
इस तस्वीर में साफ दिख रहा है कि कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों के फेफड़े चिकने और गाढ़ी बलगम (म्यूकस) से भर गया है। इस कारण पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी होती है। बता दें कि कोरोना के वायरस मानव शरीर में सबसे पहले श्वसन तंत्र को ही संक्रमित करते हैं। जिसमें फेफड़े का संक्रमण पहला स्टेज है।
This 3D video from @RSNA shows what are called ground-glass opacities in the lungs of a #COVID-19 patient. These opacities on the CT scan indicate pneumonia as the spaces which are normally filled by air are being filled with something else.
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— Sky News Tech (@SkyNewsTech) March 12, 2020
3D इमेज के बनने के बाद डॉक्टर एक्स-रे और सीटी स्कैन से ऐसे मरीजों की बहुत जल्दी पहचान कर पाएंगे
इस 3D इमेज के बनने के बाद डॉक्टर एक्स-रे और सीटी स्कैन से ऐसे मरीजों की बहुत जल्दी पहचान कर पाएंगे जो गंभीर रूप से संक्रमित हैं। इसके बाद उन मरीजों को तुरंत एकांत वार्ड में शिफ्ट किया जाएगा।
कोरोना वायरस हेल्पलाइन 011-23978046
केंद्र सरकार ने केंद्रीय स्तर पर 011-23978046 हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। वहीं दिल्ली सरकार ने नंबर 011-22307145 को हेल्पलाइन बनाया है। इसके अलावा 15 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में भी हेल्पलाइन बनाई गई हैं। इनमें बिहार, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, पंजाब, सिक्किम, तेलंगाना, उत्तराखंड, दादर व नगर हवेली, दमन व दीव, लक्षद्वीप और पुडुचेरी के लिए फोन नंबर 104 हेल्पलाइन बना है। मेघालय में 108 और मिजोरम में 102 नंबर पर हेल्पलाइन बनाई गई है।
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जाने कैसे इस वायरस से कोशिकाएं होती हैं प्रभावित ?
कोरोनावायरस मानव शरीर में घुसकर कोशिकाओं को प्रभावित करता है। जिससे कोशिकाओं के आरएनए में परिवर्तन होता है। इसके अलावा संक्रमित मरीज को सांस लेने में भी परेशानी होती है। संक्रमण का स्तर बढ़ने पर मरीज की दम घुटने से मौत हो जाती है। कोरोनावायरस का जीनोम बहुत कम है। जबकि मानव शरीर का जीनोम इससे कई गुना बड़ा है। संक्रमित कोशिशा आरएनए को प्रभावित करती है और एसीई2 नाम के एक प्रोटीन को बनाती है। इससे शरीर में प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।
इस तरह शरीर में घुसता है कोरोनावायरस
कोरोनावायरस नाक, मुंह या आंखों के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। इसके बाद ये वायरस श्वसन तंत्र के कोशिकाओं पर हमला कर एसीई2 नाम के एक प्रोटीन का उत्पादन करता है। माना जाता है कि इस वायरस की उत्पत्ति चमगादड़ से हुई है क्योंकि इसमें भी ऐसा ही प्रोटीन पाया जाता है।
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मानव कोशिका से विषक्त आरएनए को जारी करता है कोरोनावायरस
यह वायरस अपने मेम्ब्रेन को मानव शरीर के कोशिका के मेम्ब्रेन के साथ जोड़कर संक्रमित करता है। एक बार जब मानव शरीर के कोशिका में कोरोनावायरस घुस जाता है तब यह उसके केंद्रक से एक अनुवांशिक तत्व को अलग करता है। इसे आरएनए नाम दिया गया है। आरएनए विभिन्न प्रकार के प्रोटीनों को जोड़ने का भी कार्य करता है। यह कोशिका के कोशिका द्रव्य में पाया जाता है लेकिन उसकी नाभिक के अंदर बहुत कम पाया जाता है।
कोरोनावायरस के रोकथाम या उपचार के साधन के रूप में एंटीबायोटिक्स का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए
एंटीबायोटिक्स किसी भी वायरस के खिलाफ प्रभावी नहीं होता। यह सिर्फ बैक्टीरिया के खिलाफ काम करता है। एंटीबायोटिक्स को रोकथाम या उपचार के साधन के रूप में उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि कोरोना से प्रभावित मरीजों को एंटीबायोटिक्स दिया जा रहा है क्योंकि अगर उन्हें कोई अन्य बैक्टीरिया का संक्रमण हो तो वह खत्म हो जाए।
कोरोनावायरस शरीर में बढ़ती है विषाक्त प्रोटीन की मात्रा
जैसे-जैसे शरीर में संक्रमण बढ़ता है कोशिकाओं से दूषित प्रोटीन का निर्माण बढ़ जाता है। इससे शरीर में कोरोना के वायरस और ज्यादा बनते हैं। इसके बाद नए वायरस शरीर की अन्य कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं।