इंदौर। देश की पहली मुस्लिम महिला कुश्ती कोच फातिमा बानो आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं, लेकिन उनके संघर्ष की कहानी को बहुत कम ही लोग जानते होंगे।
बता दें कि रूढ़वादिता को तोड़कर घर से लेकर समाज तक के विरोध को नजरअंदाज कर फातिमा ने कुश्ती में बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं और देश की पहली महिला कुश्ती कोच बनीं। फातिमा भोपाल में आज सर्वश्रेष्ठ कुश्ती कोच का दायित्व निभा रही हैं, इनके प्रयासों के बदौलत देश और मध्य प्रदेश में कुश्ती खेल की उपलब्धियां बढ़ी हैं।
फातिमा ने मजहब के सांचाें काे ताेड़ कर देश की पहली मुस्लिम महिला कुश्ती कोच बनने का गौरव हासिल किया। इसके साथ ही उन्होंने खुद के खर्च से कई अंतरराष्ट्रीय स्तर की महिला कुश्ती खिलाड़ियों की जमात तैयार की। इसमें गीता-बबीता फाेगाट और साक्षी मलिक जैसी नामी पहलवानों काे भी राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में ट्रेनिंग दे चुकी हैं।
बता दें कि फातिमा शुरुआत में जूडाे की खिलाड़ी रहीं थीं। 45 साल की फातिमा ने कुश्ती की शुरुआत 1997 में भाेपाल से की थी। उनके पिता सैयद नसरूल्ला बीएचएल में थे और मां निशा बानाे गृहिणी थीं। फातिमा 2001 में मध्य प्रदेश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार विक्रम अवार्ड से सम्मानित हो चुकी हैं। यह मुकाम हासिल करने वाली वह मध्य प्रदेश की पहली कुश्ती खिलाड़ी हैं।
वह 2004 से 2016 तक मध्य प्रदेश खेल विभाग में कोच के रूप मे सेवाएं दे चुकी हैं। उन्होंने 2002 से काेच के रूप में दूसरी पारी शुरू की और गांव-देहात से ऐसी महिला प्रतिभाएं खाेजीं जाे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक मेडल जीतने मे कामयाब रही। इंदौर के अर्जुन अवार्डी पहलवान और जाने-माने कोच कृपाशंकर ने फातिमा को उनके जन्मदिन पर बधाई दी है। बता दें कि फातिमा का सात जून को जन्मदिन था।