केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पुडुचेरी में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए रविवार को आरोप लगाया कि इसका नेतृत्व करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने 15,000 करोड़ रुपए की केंद्रीय निधियों से गांधी परिवार को कट मनी दी। शाह ने यहां भाजपा की एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए दावा किया कि बहुमत खोने के बाद इस महीने की शुरुआत में गिरी कांग्रेस सरकार ने पुडुचेरी के लिए केंद्रीय योजनाओं को लेकर ओछी राजनीति की।
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उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री पर दिल्ली में गांधी परिवार की सेवा करने और उन्हें कट मनी देने का आरोप लगाया। शाह ने कांग्रेस सरकार गिरने के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराने को लेकर नारायणसामी की आलोचना करते हुए कहा कि कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता पार्टी छोड़ रहे हैं, क्योंकि यह वंशवाद की राजनीति के कारण देशभर में अवसान की ओर है। कोई समर्पित मत्स्य मंत्रालय नहीं होने का दावा करने को लेकर अमित शाह ने राहुल गांधी की आलोचना की और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो साल पहले ही इसका गठन कर दिया था।
उन्होंने वायनाड से सांसद पर निशाना साधते हुए कहा, आप (उस समय) छुट्टी पर थे।
पीएसएलवी-सी-51 के जरिए 19 उपग्रह प्रक्षेपित
छात्रों की ओर से निर्मित पांच उपग्रह भी भेजे गए बेंगलुरु । भारत के पीएसएलवी (ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान) सी-51 के जरिए ब्राजील के अमेजोनिया-। और 18 अन्य उपग्रहों का रविवार को यहां श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से सफल प्रक्षेपण किया गया। इनमें से पांच उपग्रह छात्र निर्मित हैं। इन छोटे उपग्रहों में चेन्नई स्थित स्पेस किड्ज इंडिया द्वारा निर्मित सतीश धवन सैटेलाइट (एसडीसैट) भी शामिल है जो कि तीन उपग्रहों यूनिटीसैट और प्रौद्योगिकी प्रदर्शन उपग्रह सिंधूनेत्र का संयोजन है।
तीन उपग्रहों (यूनिटीसैट) को जेप्पियार इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी, श्रीपेरम्बदूर (जेआईटीसैट), जी एच रायसोनी कालेज आफ इंजीनियरिंग, नागपुर (जीएचआरसीईसैट) और श्री शक्ति इंटीट्टयूट आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, कोयम्बटूर (श्री शक्ति सैट) के बीच संयुक्त विकास के तहत डिजाइन एवं निर्मित किया गया है।
बेंगलुरु-मुख्यालय में इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि यूनिटीसैट का उद्देश्य रेडियो रिले सेवाएं प्रदान करना है।
एसडीसैट एक नैनो उपग्रह है जिसका उद्देश्य विकिरण स्तर अंतरिक्ष मौसम का अध्ययन करना और लंबी दूरी की संचार प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करना है।
सिंधुनेत्र को बेंगलुरु स्थित पीईएस विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा विकसित किया गया है, जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के हिस्से, रिसर्च सेंटर इमरत द्वारा 2.2 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया था।