लखनऊ डेस्क। इसरो का चंद्रयान-टू मिशन तकनीकी खराबी की वजह से टल गया है 56 मिनट 24 सेकेंड पहले इसमें तकनीकी खामी का पता इसरो को चला और उसने लॉन्चिंग को टाल दिया। वहीं देश में पहली बार इसरो की दो महिला वैज्ञानिक अंतरिक्ष खोज अभियान (स्पेश एक्सप्लोरेशन मिशन) की अगुवाई कर रही हैं।
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आपको बता दें ऐसा नहीं है कि महिला वैज्ञानिकों ने इतनी बड़ी जिम्मेदारी पहली बार ली है, बल्कि अपनी कबिलियत का लोहा मनवाने वाली देश की महिला वैज्ञानिकों की फेहरिस्त लंबी है। आइए मिलते हैं खास महिलाओं से –
1-चंद्रयान की मिशन डायरेक्ट हैं। यह देश की पहली इंटप्लैनेटरी मिशन मार्स ऑर्बिटर मिशन की डेप्युटी ऑपरेशंस डायरेक्टर थीं। लखनऊ के एक मध्यवर्गीय परिवार से आने वाली करिधाल ने एयरोस्पेस इंजिनियरिंग में मास्टर्स डिग्री लेने के लिए इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस जॉइन की थी। वह 1997 से इसरो में काम कर रही हैं। उन्हें 2007 में पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम से इसरो की युवा वैज्ञानिक का अवॉर्ड मिला था।
2-देश की पहली रेडार इमेजिंग सैटलाइट रिसैट- 1 की प्रॉजेक्ट डायरेक्टर के तौर पर अब्दुल कलाम अवॉर्ड पाने वाली वह पहली शख्सियत हैं। यह अवॉर्ड तमिल नाडु सरकार देती है। वह इनसैट- 2ए, आईआरएस- आईसी, आईआरएस- आईडी और तकनीकी जांच उपग्रह जैसे अभियानों में शामिल रह चुकी हैं।
3-यह चंद्रयान मिशन की प्रॉजेक्ट डायरेक्टर हैं। इसरो सैटलाइट सेंटर जिसे अब यू आर राव स्पेस सेंटर कहा जाता है, के डिजिटल सिस्टम्स ग्रुप में टेलिमेट्री और टेलिकमांड डिविजन को हेड कर चुकी हैं। वनिता ने कार्टोसैट- 1 के लिए टीटीसी बेस्ड सिस्टम्स और ओसियनसैट- 2 तथा मेघा-ट्रेपिक्स सैटलाइट्स की डेप्युटी प्रॉजेक्ट डायरेक्ट रह चुकी हैं। उन्हें 2006 में सर्वोत्तम महिला वैज्ञानिक पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।