सियाराम पांडेय ‘शांत’
विगत कई दशकों से बुंदेलखंड उपेक्षित हैं। इस क्षेत्र के नेताओं ने अपने बारे में तो सोचा लेकिन बुंदेलखंड की समस्याओं को दूर करने की दिशा में काम नहीं किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद हालात बदले हैं। यहां धरातल पर विकास कार्य दिखाई देने लगा है। बुंदेलखंड के लोगों की माली हालत सुधारने और यहां से पलायन रोकने को सरकार ने गंभीरता से प्रयास आरंभ कर दिया है। वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी में डिफेंस इंडस्ट्रीयल काॅरिडोर स्थापित करने की घोषणा की थी तभी इस बात के संदेश मिलने लगे थे कि अब बुंदेलखंड को तरक्की करने से कोई रोक नहीं पाएगा।
काॅरिडोर के लिए जिन 6 जिलों का चयन किया गया था, उसमें दो जिले झांसी और चित्रकूट बुंदेलखंड के हैं। लाॅकडाउन से पहले हुए डिफेंस एक्सपो में दो दर्जन कंपनियां 50 हजार करोड़ के निवेश के एमओयू पर हस्ताक्षर भी कर चुकी हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुंदेलखंड के लोगों को आश्वस्त किया है कि बुंदेलखंड की धरती आने वाले दिनों में सोना उगलेगी जिसमें अर्जुन सहायक परियोजना की बड़ी भूमिका होगी। खेतों को पानी मिले तो क्या नहीं हो सकता। बुंदेलखंड तरक्की नहीं कर पा रहा था तो इसके पीछे वहां पानी का अभाव ही प्रमुख था। इसमें संदेह नहीं कि योगी सरकार ने जनता की इस पीड़ा को समझा और उसे दूर करने का प्रयास किया।
मुख्यमंत्री की इस बात में दम है कि आजादी के बाद अगर इस क्षेत्र के विकास पर जोर दिया गया होता। इस दिशा में सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ा गया होता तो आज बुंदेलखंड की स्थिति कुछ और होती। वह स्वर्ग हो गया होता। उन्होंने बुंदेलखंड की उपेक्षा और उसकी दयनीयता के लिए पूर्ववर्ती सरकारों को जिम्मेदार ठहराया है। इसमें शक नहीं कि योगी सरकार जिस तेजी के साथ बुंदेलखंड को विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। साल-दर साल उसके लिए बजट प्रस्ताव कर रही है। वहां एक से बढ़कर एक परियोजनाएं दे रही है, अगर उतनी योजनाओं का भी ठीक से क्रियान्वयन हो जाए तो बुंदेलखंड के विकास को पंख लगते और उसके दिन बहुरते देर नहीं लगेगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुंदेलखंड के लोगों को आश्वस्त किया है कि एक -दो माह में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अर्जुन सहायक परियोजना के लहचूरा बांध का लोकार्पण करेंगे। 2600 करोड़ रुपये की लागत वाली धसान नदी पर बनी इस परियोजना से महोबा, हमीरपुर और बांदा जिले के 168 गांवों के किसान लाभान्वित होंगे। डेढ़ लाख किसानों के 15 हजार हैक्टेयर भूमि को सिंचाई की सुविधा मिलेगी तो चार लाख लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो सकेगा।
मुख्यमंत्री ने हर नदी को गंगा जैसा ही महत्व देने और उसके एक-एक बूंद जल का संरक्षण और सदुपयोग करने की लोगों से अपील की है। उनका मानना है कि आजादी के बाद तत्कालीन सरकारों ने जल संरक्षण और पानी के सही नियोजन की दिशा में कोई प्रयास नहीं किया। कुछ योजना बनी भी तो धन की कमी आड़े आ गई।
समन्वय का संदेश पर्व भी है महाशिवरात्रि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ेंने पीएम कृषि सिंचाई योजना के साथ ही किसी भी परियोजना में धन की कमी नही होने दी। महोबा वीरभूमि है, आस्था की भूमि है। यहां की कई विशेषताएं हमें आध्यात्मिक और ऐतिहासिक परंपराओं से जोड़ती हैं। यहां कई योजनाएं सालों से लंबित पड़ी थीं। मौजूदा सरकार उन्हें पूरा करने की दिशा में बढ़ रही है। इस क्षेत्र के समग्र विकास को लेकर कई स्तर पर कार्य हो रहे हैं। बुंदेलखंड को एक्सप्रेस वे, डिफेंस कॉरिडोर और जल जीवन मिशन जैसी परियोजनाएं इस क्षेत्र को एक नई ऊंचाई तक ले जाएंगी।
स्थानीय नौजवानों को जल जीवन मिशन के तहत गांव-गांव रोजगार से जोड़ने, संस्थाओं के सीएसआर फंड से स्कूलों का कायाकल्प कराने पर भी सरकार का विशेष ध्यान सहज ही अपनी ओर आकृष्ट करता है। रसिन बांध परियोजना एवं चिल्लीमल पंप नहर परियोजना का लोकार्पण करने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि 70 के दशक में बनी योजनाएं आज तक पूरी नहीं की गईं जबकि इस दौरान कुछ लोग बुंदेलखंड को कंगाल कर खुद मालामाल होते रहे।
देश को आजादी 1947 में मिल गई लेकिन भगवान श्रीराम की तपस्थली बुंदेलखंड के पक्ष में पलायन, बेरोजगारी, सूखा, धर्म स्थलों पर कब्जा वन्य एवं प्राकृतिक संपदा पर डकैतों और माफियाओं का कब्जा रहा। 70 के दशक में बुंदेलखंड के लिये बनी योजनाएं आज तक पूरी नहीं की गईं। नेताओं के घर बने, उनके बच्चे विदेश पढ़ने गए लेकिन बुंदेलखंड की गरीबी नहीं गई । बुंदेलखंड के विकास का पैसा चंद लोगों की जेब में जाता रहा। मोदी-योगी की सरकार में अब ऐसा नहीं हो सकता। यदि किसी ने ऐसा किया तो उसकी वही दुर्गति होगी, जैसी डकैतों और माफियाओं की हुई। मुख्यमंत्री की मानें तो बुंदेलखंड का समग्र विकास उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
बुंदेलखंड के लिए ऐसी समग्र कार्ययोजना तैयार की गई है कि यहां विकास भी होगा और बेरोजगारी भी दूर होगी। बड़े उद्योग धंधे लगेंगे। हर घर को नल से जल मिलेगा। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के माध्यम से बेहर सड़क संपर्क बढ़ेगा तो जल्द ही हवाई सेवा भी शुरू होगी। अब यहां के प्राकृतिक संसाधनों का माफिया दोहन नहीं कर पाएंगे। यहां का पैसा यहीं के विकास पर खर्च होगा।
उन्होंने भोले-भाले अन्नदाताओं के कंधे पर बंदूक रखकर भारत के विकास को अवरुद्ध करने वालों को करारा जवाब देने की जरूरत पर भी बल दिया। कहा कि किसानों को बरगलाया जाता है कि कॉन्ट्रैक्ट खेती से जमीन बंधक बना ली जाएगी। यह कोरी कल्पना है। उन्होंने कहा कि वैद्यनाथ समूह ने हर्बल प्रोजेक्ट में यहीं के किसानों से माल खरीदने का कार्य किया। किसी की जमीन कब्जा नहीं की ,बल्कि लोगों को मुनाफा दिया।
सरकार किसानों के हित के लिए प्रतिबद्ध है और एमएसपी जारी रहेगी। चित्रकूट की धरती ऋषि-मुनियों के तप से लोक कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने वाली रही है। यह वह धरती है जिसने वनवास काल में प्रभु श्रीराम को शरण दिया। देश के आजाद होने के 70 दशक बाद भी किया धरती प्यासी रहे, यह कैसे हो सकता है।
त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा था ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।’ आज इसके दर्शन करने हो तो बुंदेलखंड इसका साक्षात उदाहरण है। सरकार बुंदेलखंड को भगवान श्रीराम के भाव के अनुरूप स्वर्ग जैसा बनाने का कार्य कर रही है। चार वर्षों में चित्रकूट में धार्मिक पर्यटन के विकास का कार्य किसी से छुपा नहीं है। पूरे बुंदेलखंड में सर्वत्र कुछ ना कुछ परिवर्तन दिखाई दे रहा है।
चित्रकूट को देश की राजधानी दिल्ली से जोड़ने के लिए बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का निर्माण 50 प्रतिशत पूरा हो चुका है। आने वाले दिनों में दिल्ली की दूरी 6 घंटे में पूरी की जा सकेगी। हर जिले में औद्योगिक क्लस्टर विकसित हो रहे हैं, इससे नौजवानों को व्यापक रोजगार मिलेगा। बुंदेलखंड के डिफेंस कॉरिडोर में बनने वाली तोप और फाइटर प्लेन दुश्मन की छाती पर मूंग दलने का कार्य करेगी। हर घर नल से जल योजना विकास का मॉडल ही नहीं बल्कि रोजगार सृजन का माध्यम भी बनेगी। उन्होंने वनटांगिया और थारू लोगों की तरह ही यहां के कोल जाति के लोगों को आवास सुविधा देने की बात कही है।
मुख्यमंत्री ने 229 परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया। इसमें 168 परियोजनाएं लोकार्पण व 61 शिलान्यास की शामिल हैं। बांदा में 17 परियोजनाओं का लोकार्पण, 27 का शिलान्यास, हमीरपुर में 61 का लोकार्पण 20 का शिलान्यास, महोबा में 71 का लोकार्पण छह का शिलान्यास एवं चित्रकूट में 19 का लोकार्पण व आठ का शिलान्यास किया है। अगर वे अपने इस महाभियान में सफल होते हैं और अपनी नीतियों के क्रियान्वयन में नौकरशाहों का साथ उन्हें पूरी जिम्मेदारी से मिलता है तो बुंदेलखंड को विकसित होते देर नहीं लगेगी, इतनी उम्मीद तो की ही जा सकती है।