डेस्क। माह ए पाक रमजान की विदाई के साथ ही मुस्लिम भाई चांद दिखने का इंतजार करते हैं और आसमान में चांद के रौशन होते ही ईद की रंगत और रौनक पूरी दुनिया में फैल जाती है। रमजान के पाक महीने में सब्र के 30 रोजे रखने के बाद ईद एक ऐसी रौनक के रूप में दाखिल होती है।
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1-आपको बता दें ईद-उल-फितर या ईद सबसे पहले 624 ई. में मनाई गई थी। इस्लामिक कैलेंडर यानी की हिजरी कैलेंडर इसमें पहले एक साल का 9वां महीना होता था। इस्लाम में इसे ही रमजान कहा जाता था।ही वह महीना है जिसमें मोहम्मद पैगंबर साहेब कुरान का इलहाम हुआ था।
2-ईद के कुछ दिन पहले अलविदा जुम्मा बेहद खास माना जाता है। यह रमजान के महीने का आखिरी शुक्रवार होता है। हिजरी कैलेण्डर के मुताबिक साल में दो बार ईद मनाई जाती है। एक ईद-उल-फितर और दूसरी ईद-उल-जुहा। ईद-उल-फितर को मीठी ईद भी कहा जाता है। और दूसरी ईद को बकरीद।
3- ईद के दिन मुसलमान भाई सुबह नमाज अदा करते हैं और मीठा खिलाकर रमजान के सारे रोजों के खत्म होने की खुशियां मनाते हैं। इस दिन दान यानी की जकात का भी खास महत्व है। हालांकि रमजान में रोजे के दौरान भी जकात का खास महत्व है।
4- ईद को मनाने के पीछे एक वजह और भी है। दरअसल, कहा जाता है कि इस दिन पैगंबर हजरत मोहम्मद ने इसी दिन बद्र के युद्ध में जीत हासिल की थी और इसी की खुशी में ईद मनाई जाती है।