Site icon News Ganj

Dussehra 2019: जानें क्यों मशहूर है मैसूर और कुल्लू का दशहरा

लखनऊ डेस्क। दिल्ली और उत्तर प्रदेश में दशहरा के दिन लोग रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद का पुतला जलाते हैं , वहीं कुल्लू और मैसूर शहर के दशहरा का महत्व और तरीका दोनों ही अलग है। इसलिए यहां का दशहरा दुनियाभर के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है। आइये जानें इन जगहों का दशहरा क्यों है मशहूर –

ये भी पढ़ें :-जानें विजयादशमी का शुभ मुहूर्त और इस दिन क्यों खाते हैं जलेबी 

आपको बता दें मैसूर में दशहरा का आयोजन सबसे पहले 15वीं शताब्दी में हुआ था। दशहरा के दिन यहां देवी चामुंडेश्वरी की पूजा की जाती है। मैसूर के दशहरे की खासियत यहां का जुलूस है जो अंबा महल से शुरू होता है और मैसूर से होते हुए करीब पांच किलोमीटर और दूर जाता है। इस जुलूस में पंद्रह हाथी लाए जाते हैं जिनके ऊपर देवी चामुंडेश्वरी की मूर्ति को रखा जाता है। इस मूर्ति को बेहद ही खूबसूरत तरीके से सजाया जाता है।

ये भी पढ़ें :-बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव दशहरा, जानें इसका इतिहास 

वहीँ कुल्लू शहर शांति और अपनी सुंदरता के लिए जाना जाता है। वहीं दशहरा के दिन इस शहर का भव्य आयोजन सभी लोगों के आकर्षण का केन्द्र बन जाता है। कुल्लू में दशहरा  का त्योहार भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। जब पूरे देश में दशहरा खत्म होता है , उसी दिन कुल्लू में दशहरे का उत्सव शुरू होता है। कुल्लू में दशहरे का पर्व सात दिनों तक मनाया जाता है। कुल्लू में काम, क्रोध, मोह, लोभ और अहंकार के नाश के तौर पर पांच जानवरों की बलि देकर इसे मनाते हैं।

Exit mobile version