पूर्व विदेश सचिव विजय गोखले ने चीन पर निशाना साधते हुए कहा है कि चीन समय के साथ छेड़छाड़ करने में माहिर है। इसके साथ ही खुद को पीड़ित के रूप में दुनिया के सामने लाना भी उसकी चाल का एक हिस्सा है। गोखले का कहना है कि चीन की रणनीति दोनों पक्षों की स्थिति और ताकत के आधार पर तय होती है। हम उन तरीकों को ध्यान में रखकर चीन की चाल को समझ सकते हैं, जिससे वह बाहरी दुनिया के साथ डील करता है।
उन्होंने सुझाव दिया कि चीन साथ बातचीत की तैयारी में भारतीय वार्ताकारों के लिए इन्हें याद रखना अच्छा होगा। गोखले ने अपनी नई किताब ‘द लॉन्ग गेम: हाउ द चाइनीज नेगोशिएट विद इंडिया’ में यह टिप्पणी की है, जो छह ऐतिहासिक घटनाओं के माध्यम से दोनों देशों के संबंधों के बारे में बताती है। उनकी टिप्पणी पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच सीमा गतिरोध के बीच आई है।
पेंगुइन रैंडम हाउस द्वारा प्रकाशित किताब में कहा गया है कि चीन समय में हेरफेर करने में माहिर है। यदि वार्ताकार चीनी मांगों के आगे झुकने के लिए तैयार नहीं है, तो वे चीन के लंबे इतिहास और धैर्य दिखाने की उनकी क्षमता का हवाला देकर शुरुआत करते हैं।
गोखले ने लिखा कि चीन हमेशा वार्ता के लिए एजेंडा निर्धारित करने की कोशिश करेगा और वार्ता की दिशा निर्धारित करने के लिए हर जरूरी प्रयास करेगा। अहम विषयों पर चर्चा करने से बचने के लिए चीन तरह-तरह के हथकंडे अपनाता है। वह चीनी वार्ताकार को समय से पहले अपनी स्थिति का खुलासा करने के लिए भी मजबूर कर सकता है।
उन्होंने सुझाव दिया कि दूसरे पक्ष के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह वार्ता में अपने हित के मुद्दों को उठाए, भले ही ये औपचारिक एजेंडे में न हों। चीन को यह संदेश देना जरूरी है कि दूसरे पक्ष के समान हित हैं और अपने मुद्दों को चर्चा में रखने का अधिकार भी है। उनका यह भी मानना है कि चीनी पक्ष किसी भी विवादास्पद मुद्दे पर विस्तार से निपटने से पहले नियमित रूप से सिद्धांतों का पालन करने की प्रथा का पालन करता है।
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उन्होंने कहा कि भारतीय पक्ष को चीन द्वारा प्रस्तावित सिद्धांतों की बारीकी से जांच करनी चाहिए और चीन पर इस तरह से बातचीत का दबाव बनाना चाहिए, जो उनके सिद्धांतों को सीमित कर सके और चीनी पक्ष को किसी भी मुद्दे पर भारत की स्थिति को बाधित करने की अनुमति न दे।