नई दिल्ली। दीपिका पादुकोण की फिल्म छपाक बड़े पर्दे पर तो धमाल मचा ही रही है। यह फिल्म एसिड सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल के जीवन पर आधारित है। ये फिल्म लोगों के दिल और दिमाग को छू रही है। इस फिल्म में जितना दीपिका का किरदार आम जनता को भा रहा है, तो उससे कहीं ज्यादा हिम्मत देने वाला है।
एसिड सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल का वह बुलंद हौंसला, जिसके आगे हार ने भी घुटने टेक दिए
एसिड सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल का वह बुलंद हौंसला, जिसके आगे हार ने भी घुटने टेक दिए। लक्ष्मी अग्रवाल ने किस्मत के दरवाजों को खटखटाया नहीं बल्कि तोड़कर आगे बढ़ी। बता दें कि जिस उम्र में दिमाग को सही और गलत की परख नहीं होती है। उस उम्र में एक लड़की ने खुद पर हुए भयावह हमले से बाहर निकाला। इसके अलावा दोषियों को सजा दिलाने की ठानी। इसके साथ ही दूसरों को आगे बढ़ने का हौंसला भी दिया।
एसिड अटैक का दर्द न तो कोई महसूस कर सकता है और न ही उसे शब्दों में पिरोया जा सकता है
15 साल की उम्र में जब लक्ष्मी जब एक बड़ा गायक बनने सपना संजो रही थी। किसे क्या पता था उनके सपने को एक राक्षस की नजर लगने वाली है। 15 साल की उम्र की एक मासूम को एक 32 साल का नदीम खान एक तरफा प्यार कर बैठा था। नदीम के सिर पर बस जुनून सवार था किसी भी तरह लक्ष्मी को अपना बनाने का। नदीम ने लक्ष्मी को शादी के लिए प्रपोज किया, लेकिन वो अपने सपनों की तरफ बढ़ना चाहती थी। लक्ष्मी को ये रिश्ता बिलकुल मंजूर नहीं था। इसका बदला लेने के लिए नदीम ने लक्ष्मी पर एसिड अटैक किया। एसिड के इस हमले ने उनकी जो हालत की वह बेहद असहनीय थी। एसिड अटैक का वह दर्द न तो कोई महसूस कर सकता है और न ही उसे शब्दों में पिरोया जा सकता है।
हादसे से खुद को उबारने के बाद लक्ष्मी सबके सामने आईं और खुद लड़ाई लड़ी
इस हादसे से खुद को उबारने के बाद लक्ष्मी सबके सामने आईं और खुद के लड़ाई लड़ी। दुनिया के सामने आने के बाद लक्ष्मी ने कई न्यूज चैनलों और अखबारों को दिए गए इंटरव्यू में कहा था, जिस वक्त मेरे शरीर पर तेजाब फेंका गया था। उस वक्त ऐसा महसूस हो रहा है जैसे किसी ने पूरे शरीर पर आग लगा दी हो। मेरी सारी खाल बाहर निकलकर आ गई थी। हाथों और चेहरे पर तेजाब का असर ऐसा हुआ था कि सारी खाल बहकर अलग होने लगी थी। खुद को ठीक करने और परिवार के पास वापस जाने के लिए मुझे तीन महीने अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता था। इस दौरान मेरी कई सर्जरी हुई।
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एक कटोरे में पानी में मैं अपने आप को ढ़ूढ़ने की कोशिश करती थी, लेकिन हर बार नाकामयाब ही रहती थी
आंखों में नमी और बुलंद हौंसले के साथ लक्ष्मी ने आगे कहा था, जिस वक्त मैं अस्पताल में भर्ती थी, मेरे कमरे में एक भी आइना नहीं था। रोज सुबह चेहरा साफ करने के लिए नर्स मुझे एक कटोरे में पानी देती थी, जिसमें मैं अपने आप को ढ़ूढ़ने की कोशिश करती थी, लेकिन हर बार नाकामयाब ही रहती थी। मुझे मेरे चेहरे पर सिर्फ पट्टियां बैंडेज ही नजर आते थे।
लक्ष्मी को अमेरिका की पूर्व पहली महिला मिशेल ओबामा ने ‘साहस के लिए अंतरराष्ट्रीय महिला पुरस्कार’ सम्मान ने नवाजा
हादसे के बाद जब लक्ष्मी ने खुद को आइने में निहारा तो उन्हें लगा सब बर्बाद हो गया है। उनका जो कुछ भी था सब एसिड के साथ बह गया है। चेहरे को इस तरह तबाह देखकर मेरा मन थोड़ा कमजोर जरूर हुआ, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। इसके बाद लक्ष्मी ने 2006 में लक्ष्मी ने एक पीआईएल डाली और सुप्रीम कोर्ट से एसिड बैन करने की मांग की। उसके बाद लक्ष्मी ने कई कैंपेन चलाए ताकि देश के किसी भी हिस्से में तेजाब यानि की एसिड की बिक्री न हो। इस कैंपेन में आलोक दीक्षित और आशीष शुक्ला ने कदम से कदम मिलाए। इसके बाद लक्ष्मी उन सैकड़ों एसिड अटैक पीड़िताओं की आवाज बन गईं जो अपने लिए न्याय मांग रही थीं। उस समय लक्ष्मी को अमेरिका की पूर्व पहली महिला मिशेल ओबामा ने ‘साहस के लिए अंतरराष्ट्रीय महिला पुरस्कार’ सम्मान ने नवाजा।
बेटी के जन्म के बाद लक्ष्मी और आलोक में अनबन होने लगी दोनों अलग भी हो गए
कैंपेन चलाने के दौरान लक्ष्मी को इसके फाउंडर आलोक से प्यार हो गया। इस कपल ने शादी से पहले लिव-इन में रहने का फैसला किया। इस पर लक्ष्मी का कहना था, ‘हम शादी न करके समाज को चुनौती देना चाहते थे। हम नहीं चाहते थे कि हमारी शादी में लोग आएं और मेरे चेहरे को देखकर ताना मारें। उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया, जिनका नाम उन्होंने पीहू रखा है। बेटी के जन्म के बाद लक्ष्मी और आलोक में अनबन होने लगी दोनों अलग भी हो गए। बेटी को पालने के लिए लक्ष्मी को एक अच्छी जॉब की जरूरत थी। इसके साथ में उन्हें एक घर भी चाहिए था। इसके लिए लक्ष्मी काफी समय तक स्ट्रगल करती रहीं।
लक्ष्मी के हौंसले को newsganj.com करता है सलाम
साल 2018 में लक्ष्मी अग्रवाल ने एक इंटरव्यू में कहा था कि कई लोगों ने मुझे काम दिया। कई ने न्यूज पढ़ने की भी नौकरी ऑफर की। मैं उन सब की शुक्रगुजार हूं,लेकिन मैं चाहती हूं कि सरकार मुझे नौकरी दे। जिससे मैं अपनी बेटी और मां को सपोर्ट कर सकूं। मैं अपने दम पर उन्हें पालना चाहती हूं। बस इसी तरह धीरे धीरे लक्ष्मी आगे बढ़ती गई और उन्होंने अपनी राह खुद चुनी। लक्ष्मी के हौंसले को newsganj.com सलाम करता है। वहीं लक्ष्मी अग्रवाल आज कई महिलाओं को प्ररेणा भी दे रही हैं।