नई दिल्ली। नए साल 2020 का पहला चंद्र ग्रहण 11 जनवरी दिन शनिवार को लग रहा है। हालांकि इसका प्रारंभ 10 जनवरी की रात्रि से ही हो जाएगा। जो 11 जनवरी को तड़के 12 बजकर 39 मिनट तक रहेगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चंद्र ग्रहण के दिन बहुत से काम करना निषिद्ध
बता दें कि चंद्र ग्रहण या सूर्य ग्रहण दोनों ही एक खगोलीय घटना है, हालांकि इसके पीछे धार्मिक मत भी हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चंद्र ग्रहण के दिन बहुत से काम करना निषिद्ध है। ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति उन नियमों को तोड़ता है, तो उससे उसका जीवन प्रभावित होता। चंद्र ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान रखना होता है। ज्योतिषाचार्य पं. गोरखनाथ मिश्र बताते हैं कि चंद्र ग्रहण के दिन क्या करें और क्या न करें?
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चंद्र ग्रहण के दिन क्या न करें?
ऐसी मान्यता है कि ग्रहण काल में सोने से व्यक्ति को अनेक प्रकार के रोग होते हैं। मल त्यागने से पेट में कृमि रोग, मालिश करने से कुष्ठ रोग होता है। स्त्री प्रसंग से अगले जन्म में सूअर की योनि में जन्म मिलता है।
- ग्रहण काल के समय भोजन करना वर्जित है। ऐसे करने वाला व्यक्ति जितने अन्न के दाने ग्रहण करता है, उतने वर्ष उसे नरक में व्यतीत करने होते हैं।
- पुराणों के अनुसार, ग्रहण में किसी अन्य व्यक्ति का भोजन करता है तो 12 वर्षों का पुण्य नष्ट हो जाता है।
- ग्रहण काल के समय कोई भी शुभ या नवीन कार्य करना वर्जित माना गया है।
- ग्रहण के दिन फल, फूल, लकड़ी पत्ते आदि नहीं तोड़ना चाहिए।
- ग्रहण काल में भोजन करना, जल पीना, केश बनाना, सोना, मंजन करना, वस्त्र नीचोड़ना, संभोग करना, ताला खोलना आदि वर्जित है।
गर्भवती महिलाएं रखें विशेष ध्यान
गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण के समय विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसी महिलाओं को चंद्र ग्रहण नहीं देखना चाहिए। चंद्र ग्रहण देखने से शिशु पर दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं। गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय कैंची, चाकू आदि से कोई वस्तु नहीं काटनी चाहिए। वस्त्र आदि की सिलाई भी नहीं करनी चाहिए।
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क्यों लगता है चंद्र ग्रहण?
चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है। पृथ्वी सूर्य का और चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता रहता है। जब ये तीनों एक सीध में आ जाते हैं तो ग्रहण लगता है। जब पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करते हुए चंद्रमा और सूर्य के बीच में आ जाती है और चंद्रमा उससे ढक जाता है, चंद्रमा तक सूर्य की किरणें नहीं पहुंच पाती हैं, तब चंद्र ग्रहण लगता है। यह आंशिक और पूर्ण दो तरह का होता है।