नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं 15 फरवरी से शुरू हो रही हैं। इस परीक्षा को लेकर सिर्फ विद्यार्थी ही नहीं, उनके माता-पिता भी काफी तनाव में रहते हैं। इस तनाव को दूर करने और बोर्ड परीक्षा के सही मायने समझाने के लिए सीबीएसई अध्यक्ष अनीता करवल पिछले तीन सालों से परीक्षा से पहले छात्र-छात्राओं के नाम चिट्ठी लिखती आ रही हैं।
अनीता करवल ने परीक्षार्थियों के लिए कई दिलचस्प और हौंसला बढ़ाने वाली बातें लिखी
इस बार भी अनीता करवल ने परीक्षार्थियों के लिए कई दिलचस्प और हौंसला बढ़ाने वाली बातें लिखी हैं। सीबीएसई अध्यक्ष ने बच्चों से ये भी कहा है कि ‘जीवन में कुछ भी करो, पर इतिहास मत बनाना।’
अनीता करवल के शब्दों में पढ़ें पूरी चिट्ठी
‘प्यारे बच्चों,
स्कूलिंग का मतलब सिर्फ बोर्ड पीरक्षाएं नहीं हैं। अब जब मैं पीछे देखती हूं, सोचती हूं कि स्कूल में पढ़ी कौन सी चीज मैं घर ला पाई। मुझे याद आती है – पिकनिक, वार्षिक मेले, खेल, दोस्त और उनके साथ की मस्ती, हंसना-रोना, शेयरिंग और केयरिंग। लेकिन पढ़ाई के मामले में सब धुंधला सा है। जैसे – इतिहास में ढेर सारी तारीखें जो मैंने तब याद की थीं, लेकिन अब याद नहीं। मैं अपने दोस्तों से कहना चाहूंगी, ‘जिंदगी में कुछ भी करो, लेकिन इतिहास बनाने से दूर रहना। अगली पीढ़ी तुम्हें माफ नहीं करेगी। मैं हमेशा अमेरिकियों को कोसती थी क्योंकि उनके फ्लोरा और फॉना अफ्रीका से बिल्कुल अलग थे। दुनिया एक जैसी और आसान क्यों नहीं हो सकती?
केमिस्ट्री मेरे लिए कई अंग्रेजी अल्फाबेट और अरबी अंकों का थी मिश्रण
गणित में मेरी हालत ‘Alice in Wonderland’ जैसी थी। केमिस्ट्री मेरे लिए कई अंग्रेजी अल्फाबेट और अरबी अंकों का मिश्रण थी, लेकिन बायोलॉजी ऐसा विषय था जो मुझे जिज्ञासु बनाता था। ये विषय इतना पसंद था कि मैं रेड ब्लड सेल्स पर ऑटोबायोग्राफी लिख देती थी। मुझे अपनी पनाह वहां मिली। ये मेरे लिए आर्ट रूम की तरह था। एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज में मैं पढ़ाई-लिखाई से बेहतर थी। मुझे अच्छा लकता था कि मैं खाली कैनवास पर रंगों से कुछ भी बना सकती हूं या स्टेज पर एक्टिंग के दौरान लंबे से लंबे डायलॉग याद रख सकती हूं, लेकिन मुझे ये याद नहीं कि बोर्ड परीक्षा में मुझे क्या सवाल पूछे गए थे और परीक्षा कैसी गई थी?
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मैं ये सब आपसे इसलिए साझा कर रही हूं, क्योंकि मैं चाहती हूं कि ऐसा नहीं है कि हम स्कूल में हर विषय और हर गतिविधि में अच्छे होकर ही जिंदगी में सफल हों। स्कूलिंग विभिन्न विषयों से रूबरू होने के बारे में है। लेकिन इससे ज्यादा ये समय ये सीखने के लिए है जीवन भर के लर्नर कैसे बनें। ये समय जीवन के मूल्य और कौशल सीखने का है।
आप 21वीं सदी के हैं बच्चे,आप कितने रचनात्मक व सृजनशील हैं?
आप 21वीं सदी के बच्चे हैं। आपको नौकरी देने वालों को शायद स्कूल में मिले आपके अंकों से फर्क न पड़े। बल्कि वे ये जानना चाहेंगे कि आप कितने रचनात्मक व सृजनशील हैं? आप कड़ी मेहनत करने में सक्षम हैं या नहीं। ईमानदार, अच्छे नागरिक, मुश्किलों का समाधान ढूंढने और टीम का हिस्सा बनने में सक्षम हैं या नहीं। आपको लगे या न लगे, लेकिन मुझे यकीन है कि आपमें ये चीजें हैं, कई कौशल हैं और जहां तक आपके भविष्य का सवाल है। आप पहले ही परीक्षा में पास हो चुके हैं।
आपने जिंदगी में कई चढ़ाई चढ़ी है
घिसटने से चलना सीखने तक, अस्पष्ट से स्पष्ट बोलना सीखने तक, दोस्त बनाना सीखने से लेकर टीमवर्क तक, लिखना, पढ़ना, खेलना, पेंट करना, गाना, डांस करना, खाना पकाना, गार्डनिंग करना, इंटरनेट सर्च करना, बड़ों का सम्मान करना, अपनी संस्कृति को जानना और भी बहुत कुछ। इन सभी ने आपके व्यक्तित्व को निखरने और और अतुल्य बनाने में भूमिका अदा की है।
बोर्ड परीक्षा इन हजारों चीजों की सूची में से महज एक चीज
बोर्ड परीक्षा इन हजारों चीजों की सूची में से महज एक चीज है। ये इतनी बड़ी चीज नहीं जितना इसे बना दिया जाता है। ये सिर्फ अपनी वास्तविक क्षमता ढूंढने के आपके सफर में एक पड़ाव है। उस सूची में से जो भी आपने सीखा है। वह सब एक ही मान्यता के साथ शुरू होता है कि मैं ये कर सकता व सकती हूं। इसलिए अपने पूरे ज्ञान और क्षमता के साथ आगे बढ़ें। अपनी चिंताओं को खत्म कर, कड़ी मेहनत करें और अपना सर्वश्रेष्ठ दें।