करनाल: हौंसले बुलंद हो तो मन में दृढ़ संकल्प कोई भी लक्ष्य आसानी से पाया जा सकता है। मुश्किलों के बाद भी लक्ष्य का पीछा करने से कामयाबी हासिल होती है। ऐसी ही एक महिला हैं दलजीत कौर, जिनकी जीवन में कई परेशानियां आई लेकिन हार नहीं मानी। दलजीत कौर (Daljit Kaur) दिव्यांग (Divyang) हैं और उनके पति भी दिव्यांग है लेकिन वो संघर्ष करती रही।
कहते है पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती, यह बात दलजीत की कहानी साबित करती है। दलजीत के पति भी दिव्यांग हैं। पारिवारिक कारणों से बचपन में दलजीत की पढ़ाई सही से नहीं हो सकी थी, वर्तमान में उन पर अपने 13 साल के बच्चे के साथ और भी कई पारिवारिक जिम्मेदारियां हैं। उन्होंने फिर से पढ़ाई करने का निर्णय लिया ताकि शिक्षा ग्रहण करके बेहतर जीवन यापन कर सकें। वे चाहती हैं कि उनका बच्चे को वे सब सुविधाएं मिल सकें जो उन्हें नहीं मिल सकीं।
दलजीत ने बताया कि वे जब भी किसी सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए जाती थीं तो उनसे दसवीं का सर्टिफिकेट मांगा जाता था। कई बार ऐसा होने पर उन्हें लगा कि पढ़ाई बेहद जरूरी है। उन्होंने फिर से पढ़ाई शुरू करने का मन बनाया। पढ़ाई छोड़े हुए 22 साल से भी ज्यादा उनका समय हो गया था, तो उन्हें शुरुआत में काफी दिक्कत हुई लेकिन उन्होंने ठान रखा था कि कैसे भी दसवीं करना है। अब दलजीत दसवीं की परीक्षा दे चुकी हैं और रिजल्ट का इंतजार कर रही हैं। दलजीत का कहना है कि पेपर अच्छे हुए हैं, यदि वे पास हो जाती हैं तो वे आगे कुछ और करने का प्रयास करेंगी। फिलहाल वह घर में सिलाई का काम करके कुछ रुपये कमाती हैं।
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