लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के 4 करोड़ 85 लाख बच्चों को लक्ष्य बनाकर शुक्रवार को कृमि मुक्ति दिवस (Worm release day) पर कृमि मुक्ति अभियान शुरू हुआ। अभियान की शुरुआत अधिकतर जिलों में सीएमओ (CMO) ने खुद दवा खाकर और बच्चों (Children) को खिलाकर की। डॉ वेद प्रकाश (Dr. Ved Prakash) , राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, महाप्रबंधक ने कहा कि बताया कि इस चरण में कुल 37 जिलों में बच्चों को कृमि संक्रमण से बचाने के लिए 11 मार्च और 12 मार्च को कृमि मुक्ति अभियान चलाया जा रहा है।
उन्होंने अपील की है कि एक वर्ष से 19 वर्ष तक के सभी बच्चे संक्रमण से बचाव के लिए मुफ़्त में वितरित हो रही दवा जरूर खाएं। उन्होंने स्पष्ट किया कि कोविड संक्रमित के संपर्क में आए बच्चे या फिर बुखार ग्रस्त बच्चे को यह दवा नहीं खानी है। साथ ही एक वर्ष से कम उम्र के बच्चे को भी यह दवा नहीं खिलानी है। उन्होंने बताया कि इसका दूसरा चरण यानि मॉपअप राउंड 14 से 19 मार्च तक मॉपअप राउंड चलेगा।
इसमें स्कूलों एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पेट के कीड़े निकालने वाली दवा खिलाई जाएगी। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इस बात का ध्यान रखें कि इस दवा को चबाकर अथवा पीसकर और चूरा बनाकर खिलाई जानी है। उन्होने बताया कि दो राउंड में चलने वाले अभियान में प्रदेश के 4.85 करोड़ बच्चों को पेट के कीड़े निकालने की दवा एल्बेण्डाजोल खिलाई जायेगी। अभियान के तहत दवा सभी सीएचसी-पीएचसी पर पर्याप्त मात्रा में भेजी जा चुकी है।
यहां शुरू हुआ अभियान
आगरा, अलीगढ़, अमरोहा, बागपत, बिजनौर, बदायूं, बुलंदशहर, चंदौली, एटा, फतेहपुर, फिरोजाबाद, जीबी नगर, गाजियाबाद, हापुड़, हरदोई, हाथरस, झांसी, कानपुर नगर, कानपुर देहात, कासगंज, लखीमपुर खीरी, ललितपुर, मैनपुरी, मथुरा, मेरठ, मिर्जापुर, मुरादाबाद, मुज्जफर नगर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, रामपुर, सहारनपुर, संभल, शामली, सीतापुर, उन्नाव और वाराणसी
लक्षण – बेचैनी, सिरदर्द, कुपोषण, चक्कर आना, वजन मे कमी, भूख न लगना, खून की कमी (एनीमिया) व पेट मे दर्द, उल्टी-दस्त आदि
नंगे पांव से संक्रमण
बच्चों के पेट में कीड़े (कृमि) होना आम बात है। यह कीड़े ही बच्चे को कुपोषण का शिकार बनाते हैं। इससे शरीर में खून की कमी हो जाती है। पेट में संक्रमण जाने से रोकने के लिए बच्चों के नाखून साफ व कटे रखना चाहिए। ज्यादा देर गंदी जगह पर नंगे पांव चलने से और खुले में शौच जाने से भी बच्चा कृमि से संक्रमित हो सकता है। कृमि मुक्ति के लिए बच्चे को साल में दो बार दवा खिलानी चाहिए। हमेशा साफ पानी पिएं, खाद्य पदार्थ को सदैव ढक कर रखें और साफ पानी से फल व सब्जियां धोएं।