गोरखपुर। गोरक्षपीठाधीश्वर और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने कहा कि राम और रावण का युद्ध हर युग में निरंतर चलता है। अन्यायी और अत्याचारी ताकतें अलग-अलग रूप में अलग-अलग कालखंड में पैदा होती हैं। कभी अधर्म के रूप में, कभी रावण के रूप में और कभी कंस, दुर्योधन, आतंकवाद, नक्सलवाद और भ्रष्टाचार के रूप में पैदा होती हैं। यह सभी राक्षसी प्रवृत्तियां हैं। यह समाज को खोखला बना रही हैं। अराजकता को बढ़ावा दे रही हैं।
यह बातें उन्होंने मंगलवार को विजयादशमी की भव्य शोभा यात्रा के बाद रामलीला मैदान में कहीं। इस दौरान उन्होंने कहा कि विजयादशमी का पर्व सनातन हिंदू धर्म को सदैव सत्य, न्याय और धर्म के पर्थ पर चलने की प्रेरणा देता है। सम और विषम कोई भी परिस्थिति हो। हम गलत मार्ग पर नहीं चलेंगे। सत्य का आचरण करेंगे। न्याय के पथ पर चलेंगे, धर्म के पथ पर चलेंगे। विजय हमारी अवश्य होगी। विजयादशमी इस बात का हजारों वर्षों से हमें अहसास करा रही है। उन्होंने कहा कि किसी भी कल्याणकारी शासन, व्यवस्था का और समाज का यह एक महत्वपूर्ण पहलू होता है, वह समाज की पीड़ा को अपनी पीड़ा के साथ जोड़ता है। राष्ट्र की पीड़ा के साथ अपने आप को जोड़ता है। समाज की ज्वलंत समस्याओं के समाधान के लिए अपने आपको जोड़ता है। तभी महानता का रास्ता निकलता है। आज हम भगवान राम की पूजा करते हैं, उनकी वंदना कर रहे हैं। इसलिए क्योंकि भगवान राम ने अपने आदर्शों से एक आदर्श प्रस्तुत किया है। हमारे यहां कहा गया है कि रामो विग्रहवान धर्म: यानि धर्म की अगर को परिभाषा है और उसे किसी छोटी सी परिभाषा में सीमित करना हो, धर्म के बारे में जानना है, तो भगवान राम के चरित्र के बारे में जान लो।
इंसेफेलाइटिस से मौतें अब जीरो के नजदीक पहुंचीं: सीएम (CM Yogi)
उन्होंने कहा कि गोरखपुर और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए यह पर्व और भी महत्व रखता है। हम जानते हैं बीमारी भी एक प्रकार की अव्यवस्था, अराजकता है, वह भी एक राक्षस है। पूर्वी उत्तर प्रदेश ने इंसेफेलाइटिस से मुक्ति की ओर कदम बढ़ाया है। मस्तिष्क ज्वर से पांच साल पहले हजारों मौतें होती थीं। यह मौतें आज लगभग जीरो के नजदीक आ चुकी हैं। यह चीजें दिखाती हैं कि हमारा प्रयास अच्छी दिशा में चल रहा है। यह सामूहिकता का परिणाम है। एकजुट होकर जब सामूहिक प्रयास करेंगे, तो उसका परिणाम भी सात्विक रूप से सामने आएगा। शासन, प्रशासन, आम जनमानस, स्वयं सेवी संगठन सभी एकजुट हुए केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं को ईमानदारी से लागू किया गया। 40 वर्षों से हजारों बच्चों की मौत का कारण बनी बीमारी, जिसे असाध्य मान लिया गया था। स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते थे कि इसे महामारी के रूप में नोटिफाई किया जाए, इसके बाद उपचार की व्यवस्था की जाए, लेकिन उसके तह में जाने का प्रयास नहीं किया गया कि इस बीमारी का कारण क्या है।
विजयादशमी का पर्व केवल धर्म और सत्य का ही नहीं, मातृ शक्ति के सम्मान का भी: योगी (CM Yogi)
सीएम योगी (CM Yogi) ने कहा कि शारदीय नवरात्रि की नौ तिथियों में जगत जननी मां भगवती के नौ रूपों की पूजा करने के उपरांत विजय दशमी का पर्व आता है। हम देवी के नौ रूपों की पूजा करने के बाद विजय दशमी पर्व के साथ जुड़ते हैं। विजयादशमी का पर्व केवल धर्म और सत्य का ही नहीं था, मातृ शक्ति के सम्मान का भी था। रावण अगर माता सीता का अपहरण करके अपनी मौत को नहीं बुलाता, तो संभवत: कुछ दिन और जीवित रह सकने का अधिकारी बन सकता था, लेकिन उसके कृत्यों ने उसके पाप का घड़ा भर दिया था। अंतत: उसे प्रभु राम के हाथों मरना पड़ा। यानि मातृ शक्ति के सम्मान का भी विजयादशमी का पर्व प्रतीक है।
पीएम मोदी ने पूरे देश को पंच प्रण के साथ जोड़ने का आह्वान किया: सीएम (CM Yogi)
सीएम योगी (CM Yogi) ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के अमृत महोत्सव के कार्यक्रम में पूरे देश को पंच प्रण के साथ जोड़ने का आह्वान किया। भारत के विरासत का सम्मान करना भी है और किसी भी प्रकार के विदेशी अपरंपरा या संस्कृति का कोई चिह्न न रहे, उसे समाप्त करते हुए अपनी विरासत और परंपरा को आगे बढ़ाकर आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार बनाने में हमें सहयोग देना है। उत्तर भारत में कोई गांव और मोहल्ला नहीं होगा, जहां रामलीला का आयोजन न होता हो। विरासत के प्रति सम्मान का यह भाव हर बार हमें स्वत: स्फूर्त भाव के साथ जोड़ता है।
आस्था के लहरों पर सवार हो निकली गोरक्षपीठाधीश्वर की विजय शोभायात्रा
सीएम योगी (CM Yogi) ने दी विजयादशमी की शुभकामनाएं
उन्होंने कहा कि आज का दिन भारत वर्ष का विजय पर्व विजयादशमी है। यह उत्साह और उमंग दिखना भी चाहिए। इस दौरान उन्होंने विजयादशमी पर सबको बधाई और शुभकामनाएं भी दी। उन्होंने कहा कि गोरक्षपीठ की परंपरा का निर्वहन करने के लिए मैं एक बार फिर यहां आया हूं। आर्यनगर की यह रामलीला समिति प्रति वर्ष आयोजन के साथ न केवल अपनी विरासत और परंपरा के प्रति अपनी संस्कृति और सनातन धर्म के प्रति अटूट निष्ठा का परिचय देती है बल्कि वर्तमान पीढी का ज्ञानवर्धन और मनोरंजन दोनों का कार्य करती है।