भारत में जिस वक्त कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर अपने चरम पर थी तब से ही सरकार से लेकर आम लोगों तक सभी को तीसरी लहर का डर सताने लगा था। दूसरी लहर के दौरान माना गया कि भारत में पाया गया कोरोना का डेल्टा वैरिएंट परेशानी की मुख्य वजह था। कोराना का ये वैरिएंट अन्य म्यूटेंट की तुलना में तेजी से फैलता है और घातक होता है।
भारत में बढ़ते कोरोना के बढ़ते वैक्सीनेशन की खबरों के बीच मंगलवार को एक खबर ये भी आई की देश में अब तक कोरोना वायरस के ‘डेल्टा प्लस वैरिएंट’ के 22 मामलों का पता चला है। सरकार के मुताबिक यह अभी चिंता करने वाला वैरिएंट नहीं है।
डेल्टा प्लस वैरिएंट के जो 22 मामले सामने आए हैं उनमें से 16 महाराष्ट्र के रत्नागिरि और जलगांव में मिले हैं। जबकि बाकी के मामले मध्य प्रदेश तथा केरल के हैं. ऐसे में यह जानना बेबद जरूरी है कि कोरोना के इस नए वेरिएंट कितना घातक होगा?
वायरस के लिए अपने वजूद को बचाए रखने के लिए म्यूटेट करना जरूरी है. ऐसा वो हमेशा करते रहते हैं। कोरोना वायरस भी अबतक कई बार म्यूटेट हो चुका है। जिसका डेल्टा वेरिएंट पहली बार भारत में पाया गया था। इसके बाद डब्लूएचओ ने इसे डेल्टा वैरिएंट नाम दिया गया। कोरोना का डेल्टा वैरिएंट आज पूरी दुनिया के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। ऐसे में भारत के सामने डेल्टा पल्स नाम के एक और वैरिएंट के रूप में खड़ी हो गई है।
कोरोना का डेल्टा वेरिएंट दुनिया को ज्याद चिंता में डाल रहा है। ये पाया गया है कि ये वायरस पुराने वायरस यानी अल्फा वेरिएंट की चुलना में बहुत तेजी से फैलता है। रिसर्च में पाया गया कि अल्फा वेरिएंट अपने पूर्व के वर्जन की तुलना में 43-90 प्रतिशत तेजी से फैलता है। वहीं डेल्टा वेरिएंट अल्फा की तुलना में 40 प्रतिशत ज्यादा तेजी से फैलता है।
गावी एलायंस के मुताबिक डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित होने वाले लोगों के सिर में दर्द, गले में खराोश, नाक का बहना और बुखार जैसे लक्षण देखे गए हैं। इसमें सूंघने की क्षमता और खांसी जैसे लक्षण कम देखने को मिले हैं।
कोरोना के डेल्टा वैरिएंट के प्रति वैक्सीन का कैसा असर होगा यह बात सबके जेहन में चल रही है। अमेरिका के महामारी विशेषज्ञ एरिक फीगल डिंग ने डेस्टा वर्जन के खिलाफ कोरोना वैक्सीन की क्षमता पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, एस्ट्राजेनेका का भारत में कोविशील्ड के नाम से लगाई जाने वाली वैक्सीन डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ 60 प्रतिशत प्रभावी हो सकती है।
लैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक डेल्टा म्यूटेंट के खिलाफ कोरोना वैक्सीन का एक डोज कम प्रभावी होगा। दो डोज लगवाने के बाद फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन की क्षमता अल्फा वैरिएंट के खिलाफ 92 प्रतिशत से घटकर डेल्टा के खिलाफ 79 प्रतिशत हो जाती है।