नई दिल्ली। संशोधित नागरिकता कानून(सीएए) को लेकर उत्तरपूर्वी दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में हिंसा भड़की। इसमें शामिल लोगों पर प्राथमिकी दर्ज करने और उन्हें गिरफ्तार करने की मांग करने वाली एक याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुुई। कोर्ट ने कहा कि अगर भड़काऊ भाषण देने पर एफआईआर दर्ज नहीं होगी तो ऐसे भाषण बढ़ते ही जाएंगे।
दिल्ली हाईकोर्ट ने पूछा 15 दिसंबर से 26 फरवरी आ गई और अभी तक कोई एफआईआर दर्ज क्यों नहीं हुई है?
दिल्ली हाईकोर्ट ने पूछा 15 दिसंबर से 26 फरवरी आ गई और अभी तक कोई एफआईआर दर्ज क्यों नहीं हुई है? कोर्ट ने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह दिल्ली पुलिस कमिशनर को हमारी नाराजगी के बारे में बता दें। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पूछा कि पुलिस को आखिर कितनी मौतों और नुकसान का इंतजार है? जनता की सुरक्षा पुलिस की ड्यूटी है। अदालत में इस मामले पर पांच घंटे के अंदर तीन बार सुनवाई हुई है।
सॉलिसीटर जनरल ने आगे कहा कि जहां तक कपिल मिश्रा के क्लिप की बात है तो इसमें जो सामग्री है उसका हिंसा की घटनाओं से सीधा कोई संबंध नहीं है
तीसरी बार जब अदालत की सुनवाई शुरू हुई तो सॉलिसीटर जनरल(एसजी) ने अदालत को बताया कि जहां तक दूसरे और तीसरे क्लिप की बात है। तो वह उनका अब भी परीक्षण चल रहा है। हमें सभी तरफ से सबूत मिले हैं। एसजी ने आगे कहा कि जहां तक कपिल मिश्रा के क्लिप की बात है तो इसमें जो सामग्री है उसका हिंसा की घटनाओं से सीधा कोई संबंध नहीं है।
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एसजी ने आगे कहा कि जहां तक बात एफआईआर की है तो यह गंभीर मामला है और हमें इसके लिए समय चाहिए
एसजी ने आगे कहा कि जहां तक बात एफआईआर की है तो यह गंभीर मामला है और हमें इसके लिए समय चाहिए। ताकि सभी सामग्रियों को देखा जा सके। हमें समझना होगा कि यह संवेदनशील मामला है। इस पर दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने कहा कि कानून के अनुसार पुलिस अधिकारियों को मुझे रिपोर्ट करना चाहिए। हालांकि ऐसा कुछ नहीं हुआ। राहुल मेहरा ने आगे कहा कि मैंने कई बार पुलिस कमिश्नर को कोर्टरूम में कहा है कि मैं अदालत के एक अधिकारी की तरह बर्ताव करूंगा। पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट को तभी रिकॉर्ड में रखा जा सकता है जब यह मेरे दफ्तर से भेजा जाए।
सरकारी वकील ने आगे कहा कि मुझे कोई कारण नहीं दिखाई देता एफआईआर रजिस्टर न होने का
सरकारी वकील ने आगे कहा कि मुझे कोई कारण नहीं दिखाई देता एफआईआर रजिस्टर न होने का। यह हर किसी के खिलाफ दायर हो सकता है। अगर वह गलत साबित हों तो उसे रद्द भी किया जा सकता है। एसजी ने अदालत में एक आवेदन डाला कि भारत सरकार को भी इस याचिका में अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाए।