दिल्ली हाईकोर्ट(Delhi High court) आज सऊदी अरब की रहनेवाली महिला की उसके मृत पति की अस्थियों को भारत वापस लाने की मांग पर सुनवाई करेगी। पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने विदेश मंत्रालय को निर्देश दिया था कि वो सऊदी अरब की रहनेवाली महिला के पति की अस्थियों को भारत वापस लाने के दूसरे कानूनी उपाय करे। जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच सुनवाई करेगी।
सऊदी अधिकारियों ने कोई जवाब नहीं किया
सुनवाई के दौरान विदेश मंत्रालय के पासपोर्ट और वीसा डिवीजन के डायरेक्टर विष्णु कुमार शर्मा ने कहा था कि मंत्रालय ने अस्थियों को भारत वापस लाने के लिए सऊदी अरब के अधिकारियों से कहा है। उन्होंने कहा था कि सऊदी अरब के अधिकारियों को फोन, व्हाट्स ऐप और ई-मेल के जरिये भी संपर्क साधने का प्रयास किया गया लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला।
उन्होंने कोर्ट से कहा था कि इस संबंध में कोई टाइमलाइन तय नहीं की गई है लेकिन विदेश मंत्रालय अपनी ओर से कोशिशें कर रहा है। उन्होंने कहा था कि इसके लिए हमारे पास राजनयिक प्रयास करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
याचिकाकर्ता ने जताई आपत्ति
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील सुभाष चंद्रण केआर ने विदेश मंत्रालय की इस दलील का विरोध किया। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय ने कुछ भी ठोस नहीं किया है। तब कोर्ट ने कहा कि विदेश मंत्रालय की कोशिशों का कुछ भी सकारात्मक नतीजा नहीं आया है। ऐसे में विदेश मंत्रालय को दूसरे विकल्पों पर विचार करना चाहिए ताकि अस्थियां जल्द वापस लायी जा सकें।
मृत्यु प्रमाण-पत्र में गलती से लिख दिया गया था मुस्लिम
पिछले 24 मार्च को विदेश मंत्रालय ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा था कि उसने सऊदी अरब के उच्चाधिकारियों से हाल ही में मुलाकात की है और वह मृतक की अस्थियों को जल्द भारत लाने की लगातार कोशिशें कर रहे हैं। 18 मार्च को कोर्ट ने विदेश मंत्रालय को निर्देश दिया था कि वो कार्रवाई में तेजी लाएं।
सुनवाई के दौरान विदेश मंत्रालय के पासपोर्ट और वीसा डिवीजन के डायरेक्टर विष्णु कुमार शर्मा ने हाईकोर्ट को बताया था कि महिला के पति संजीव कुमार के मृत्यु प्रमाण-पत्र में मुस्लिम होने की गलती उनके नियोजक सालेम अब्दुल्ला साद अल सकर की तरफ से की गई थी।
प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया
शर्मा ने बताया था कि सऊदी अरब में जब भी किसी भारतीय की मौत की खबर भारतीय कांसुलेट को दी जाती है तो बिना भारतीय कांसुलेट के अनापत्ति प्रमाण पत्र के उसके शव को दफनाने की अनुमति नहीं होती है, लेकिन संजीव कुमार की मौत के मामले में ऐसा नहीं किया गया। संजीव कुमार का अंतिम संस्कार 17 फरवरी को बिना भारतीय कांसुलेट को बताए गैर मुस्लिम कब्रिस्तान में किया गया।
भारतीय कांसुलेट को इसकी जानकारी 18 फरवरी को मिली। उसके बाद भारतीय कांसुलेट ने सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय को 21 और 24 फरवरी और 7 मार्च को इस संबंध में पत्र लिखा। शर्मा ने बताया था कि भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारी संजीव कुमार की अस्थियों को निकालने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए सऊदी अरब के प्रशासन के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए हैं।