लखनऊ। राजधानी लखनऊ में कोरोना संक्रमण की स्थिति यहां तक पहुंच गयी है कि मरने के बाद अब परिजन भी शव लेने से किनारा कर रहे हैं। शुक्रवार को एक वरिष्ठ पत्रकार का कोरोना के चलते निधन हो गया। उनका शव घर पर पड़ा रहा। कोई परिजन उनकी सुध लेने समय से नहीं पहुंचा तो अंत में यह जिम्मेदारी लखनऊ पुलिस को निभानी पड़ी।
गोमतीनगर थाने में तैनात चार उपनिरीक्षक ने कंधा दिया। यहां तक कि अपनों ने ही उन्हें लावारिस घर पर छोड़ दिया। ऐसे में गोमती नगर पुलिस ने ना सिर्फ इंसानियत की मिसाल पेश की बल्कि शव के वारिस भी बने और अर्थी को कंधा देकर उन्हें भैसाकुंड श्मशान घाट पहुंचाया।
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गोमती नगर निवासी चंदन प्रताप सिंह पुत्र एनपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार थे। वो घर पर परिवार के साथ रहते थे। कुछ दिन पहले उन्हें कोरोना हो गया था। जिसके चलते वो घर पर ही क्वारंटाइन हो गये थे। गोमती नगर पुलिस का कहना है कि शुक्रवार को उन्हें सूचना मिली कि एक घर से अजीब से महक आ रही है। मौके पर पहुंची पुलिस ने पूछताछ की तो पता चला कि ये घर पत्रकार का है। जिन्हें कोरोना हो गया था। पुलिस घर के अंदर दाखिल हुई तो वहां चंदन प्रताप का शव पड़ा था।
पड़ोसियों ने बताया कि जब से चंदन घर पर अकेले थे। उनके परिवार से कोई मिलने नहीं आया। पुलिस ने उनके परिजनों को जानकारी दी बावजूद इसके कोई नहीं आया। जिसके बाद गोमती नगर थाने में तैनात उप निरीक्षक दयाराम साहनी, अरुण यादव, प्रशांत सिंह और राजेंद्र बाबू ने मृतक पत्रकार के परिजनों की भूमिका निभाते हुए उनकी अर्थी को कांधा दिया और बैकुंठ धाम पहुंचाया। यहां पुलिस की मौजूदगी में अंतिम संस्कार कराया गया। ऐसे समय में जब कोविड मरीजों के लिए भी एम्बुलेंस का बंदोबस्त करना मुश्किल है डॉ रिजवान ने अपनी स्पेशल गाड़ी से चंदन सिंह के शव को बैकुंठ धाम पहुंचाया। डॉ रिजवान ने अपनी जीप को इस तरह से बनवाया है कि वह मरीजों और मृतकों दोनों के काम आती है और यह सेवा नि:शुल्क है।
पुलिस के इस मानवीय पहल से जहां विभाग की साख बढ़ी है। वहीं लोग पुलिस की तारीफ भी कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार मृतक पत्रकार की पत्नी उनसे अलग रह रही थी।