नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को साइरस मिस्त्री को दोबारा टाटा संस का एक्ज़ीक्यूटिव चेयरमैन बनाने के एनसीएलएटी के आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने साइरस मिस्त्री, शापूरजी पलोंजी और स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट को नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
Supreme Court has stayed NCLAT (National Company Law Appellate Tribunal) order restoring Cyrus Mistry as executive chairman of Tata group pic.twitter.com/C9yMoiM0kK
— ANI (@ANI) January 10, 2020
सुप्रीम कोर्ट से साइरस मिस्त्री को झटका, एनसीएलएटी के फैसले पर रोक
एनसीएलएटी ने टाटा संस बोर्ड के 2016 के उस फैसले को निरस्त कर दिया था, जिसमें साइरस मिस्त्री को एक्ज़ीक्यूटिव चेयरमैन के पद से हटा दिया गया था। साइरस मिस्त्री के हटने के बाद रतन टाटा अंतरिम चेयरमैन बने थे। कोर्ट ने टाटा समूह को निर्देश दिया कि वो इस मामले के लंबित होने तक शापूरजी समूह के खिलाफ कोई निरोधात्मक कार्रवाई नहीं करेंगे। शापूरजी समूह का टाटा समूह में करीब एक लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है।
यह है मामला
कंपनी पंजीयक ने एनसीएलएटी के 18 दिसंबर के आदेश में संशोधन का आग्रह किया था। पहले एनसीएलटी का फैसला टाटा संस के पक्ष में आया था, जिसके बाद साइरस फैसले के खिलाफ एनसीएलएटी में चले गए थे। इसके बाद 18 दिसंबर को एनसीएलएटी ने साइरस मिस्त्री के पक्ष में फैसला देते हुए उन्हें फिर से अध्यक्ष बनाने का आदेश दिया था।
मां तुझे सलाम : बच्चों को भूख से बिलखता देख विधवा ने मुडवाया सिर
टाटा संस के छठे चेयरमैन थे साइरस मिस्त्री
साइरस मिस्त्री टाटा संस के छठे चेयरमैन थे और उन्हें इस पद से अक्तूबर 2016 में हटा दिया गया था। रतन टाटा के बाद उन्होंने 2012 में चेयरमैन का पद संभाला था। समूह के 150 साल के इतिहास में मिस्त्री चेयरमैन बनने वाले टाटा परिवार से बाहर के दूसरे व्यक्ति थे।
साइरस मिस्त्री परिवार ने किया विरोध
बता दें सितंबर 2017 में टाटा संस को पब्लिक से प्राइवेट कंपनी बनाने के लिए शेयरधारकों ने मंजूरी दी थी। उसके बाद रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) ने टाटा संस को निजी कंपनी के तौर पर दर्ज किया था। सायरस मिस्त्री परिवार इसके खिलाफ था क्योंकि निजी कंपनी होने से वे अपने शेयर बाहरी लोगों को नहीं बेच सकते, बल्कि टाटा को ही बेचने पड़ेंगे। जबकि पब्लिक लिमिटेड कंपनी के शेयरधारक किसी को भी अपनी हिस्सेदारी बेच सकते हैं।