नई दिल्ली। देश में ‘कोविड-19’ के संक्रमण की रफ्तार भले ही आरंभ में चीन के मुकाबले काफी कम रही हो, लेकिन कुल संक्रमितों के आंकड़े में दो-तिहाई समय में हमने पड़ोसी देश की बराबरी कर ली है।
चीन से इस बीमारी की शुरुआत हुई थी। अधिकतर विशेषज्ञों का मानना है कि वहां पहला मामला 01 दिसंबर को सामने आया था हालांकि उस समय यह पता नहीं था कि यह किस तरह की बीमारी है। इसके लक्षण निमोनिया जैसे थे, लेकिन प्रयोगशालाओं में इसके कारण का पता नहीं चल पा रहा था।
बाद में इसे नोबल कोरोना वायरस यानी नये तरह के कोरोना वायरस के नाम से पुकारा जाने लगा। आगे चलकर इस वायरस को औपचारिक रूप से सार्स एनकोव-2 तथा बीमारी को कोविड-2 नाम दिया गया। चीन में अब तक 84 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं।
भारत में पहला मामला 30 जनवरी को केरल में आया था और 16 मई को देश में कोविड-19 संक्रमितों का आंकड़ा चीन से अधिक हो गया। इस प्रकार चीन में जितने मामले 166 दिन में आये, अपने देश में 107 दिन में उतने मामले सामने आ गये हैं। इसकी मुख्य वजह यह है कि चीन ने इस महामारी के संक्रमण पर नियंत्रण पा लिया है और अब वहाँ नये मामले काफी कम आ रहे हैं।
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चीन में पहले 81 दिन में 75 हजार मामले आ चुके थे जबकि भारत ने शुरू में लॉकडाउन तथा अन्य प्रतिबंध लागू कर इसकी रफ्तार को नियंत्रित किया हुआ था। इसलिए यहां 75 हजार मामले आने में 104 दिन का समय लगा, लेकिन पिछले करीब तीन महीने में चीन 75 हजार से 84 हजार पर पहुंचा है जबकि हम तीन दिन में ही 75 हजार से 86 हजार के करीब पहुंच चुके हैं।
कोविड-19 से मरने वालों का आंकड़ा जरूर भारत में कम है, लेकिन अपने देश में अभी 53,035 लोग उपचाराधीन हैं जबकि चीन में मात्र 120 लोग उपचाराधीन है। इसका मतलब यह है कि हमारे यहां मृतकों की संख्या अभी चीन के मुकाबले तेजी से बढ़ सकती है। भारत में इस बीमारी से संक्रमित 2,752 लोगों की और चीन में 4,637 लोगों की मौत हो चुकी है। ठीक हो चुके मरीजों की संख्या क्रमश: 30,152 और 79,281 है।