नई दिल्ली। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने इस बार के बजट में कोरोना वैक्सिनेशन के लिए 35000 करोड़ का ऐलान किया है। सीतारमण ने कहा कि सरकार का कभी कोविड-19 कर या उपकर लगाने का विचार नहीं रहा है।
मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में सीतारमण ने कहा कि मुझे नहीं पता कि मीडिया में कोविड-19 कर या उपकर लगाने की चर्चा कैसे शुरू हुई? हमारा कभी ऐसा विचार नहीं रहा। कोविड-19 महामारी के दौरान सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब दुनिया की विकसित अर्थव्यवस्थाएं संघर्ष कर रही थीं। तभी हमने इससे बचाव का रास्ता ढूंढ लिया था।
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सरकार करदाताओं के पैसे को सोच-विचार कर कर रही है खर्च
सीतारमण ने तात्कालिक खर्च के लिए ‘परिवार का कीमती सामान बेचने’ के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि विनिवेश पर सरकार की स्पष्ट नीति है। पहली बार ऐसा हुआ है जबकि सरकार करदाताओं के पैसे को सोच-विचार कर खर्च कर रही है।
उन्होंने कहा कि आज भारत की आकांक्षाओं और विकास जरूरतों के लिए भारतीय स्टेट बैंक के आकार के 20 संस्थानों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आईडीबीआई के अनुभव से विकास वित्त संस्थान (DFI) का विचार आया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार द्वारा संचालित सिर्फ एक डीएफआई होगा और इसमें निजी क्षेत्र की भूमिका होगी। सीतारमण ने अर्थव्यस्था में आ रहे सुधार का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले तीन माह के दौरान माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह बढ़ा है।
जरूरत पड़ने पर दिया जाएगा और फंड
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण के लिए 35,000 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया है। उन्होंने लोकसभा में अगले वित्त वर्ष के लिए बजट पेश करते हुए कहा कि मैंने कोविड-19 के टीके के लिए 35,000 करोड़ रुपये मुहैया कराए हैं। अगर जरूरत हुई तो आगे भी धन उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हूं। 2021-22 में स्वास्थ्य का बजट 2.23 लाख करोड़ रुपये है और इसमें 137 फीसदी की बढ़ोत्तरी की गई है। भारत में गत 16 जनवरी को कोविड-19 के खिलाफ विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की शुरुआत हुई थी।