लखनऊ। योगी सरकार (Yogi Government) की ओर से वृंदावन में देश का सबसे बड़ा शहर वन (City Forest) बनाया जा रहा है। इसे वृंदावन के ग्राम सुनरख के पास 130 हेक्टेयर भूमि पर वन विभाग द्वारा सौभरि नगर वन के नाम से विकसित कर रहा है। सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना का काम स्थानीय जिला प्रशासन, उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद, मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण और वन विभाग द्वारा सामूहिक रूप से किया जा रहा है। भविष्य में इसी वन में बंदरों के रखने की व्यवस्था होगी।
सुनरख, आटस ग्राम और जहांगीरपुर खादर को मिलाकर 130 हेक्टेयर जमीन 10 वर्ष के लिए वन विभाग को दी गई है। यहां वन विभाग द्वारा 76 हजार से अधिक पौधे लगाकर वन बनाया जा रहा है। सौभरि नगर वन में दो चरण में काम हो रहा है। यहां प्रथम चरण में क्षेत्रफल 123 हेक्टेयर में 76875 पौधे वन विभाग ने लगा दिए गए हैं। इन पौधों में पाखर, पीपल, जामुन, शीशम, आमला, नीम, अर्जुन, बरगद, आम, जामुन आदि के पौधे हैं। उम्मीद है कि यह अगली साल तक पौधे काफी बड़े हो जाएंगे। इस वन में ब्रज के पौराणिक महत्व के करीब 25 प्रकार के वृक्ष इस वन में लगाए गए हैं। यह शहर वन तीन किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।
दिया जाएगा पार्क का रूप
क्षेत्रीय वन अधिकारी बृजेश सिंह परमार ने बताया कि आगे आने वाले समय में इसे पार्क का रूप भी दिया जायेगा। जिससे यहां पर श्रद्धालु एवं पर्यटक आकर घूम सकें। यहां पर जॉगिंग ट्रैक, बच्चों के लिए झूले व अन्य सुविधाएं विकसित की जाएंगी। इसका कार्य पूर्ण होने के बाद आम लोगों के लिए इस वन को खोल दिया जाएगा। इसके साथ ही पौधों के रखरखाव के लिए चयनित स्थल पर प्रजाति वार ब्लॉकों की कांटेदार तारों से बाड़बंदी की जाएगी। इसके अलावा चयनित स्थल पर खंभों पर कांटेदार तार से घेराबंदी करके 4 वॉच टॉवर भी बनाए जाएंगे। जिनका काम मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण द्वारा किया जाएगा।
स्थान का है पौराणिक महत्व
बता दें कि सौभरि शहर वन के लिए चयनित परियोजना स्थल के एक ओर कोसी ड्रेन और दूसरी ओर यमुना नदी है। बीच का यह स्थल भगवान श्रीकृष्ण की कालीयदह दमन लीला और सौभरि ऋषि की तपोस्थली है। इस कारण चयनित क्षेत्र पौराणिक, धार्मिक और ऐतिहासिक रूप में भी काफी अहम है। सुनरख में आज भी सौभरि ऋषि का आश्रम है। विष्णु पुराण, देवी भागवत पुराण एवं श्रीमद्भागवत पुराण के नवम स्कंध के छठे अध्याय में सौभरि ऋषि के विषय में वर्णन भी है। इस परियोजना से ईको रेस्टोरेशन, स्थानीय पर्यावरण स्थल का विकास होगा। वहीं बंदरों की समस्या से भी निजात मिलेगी। मथुरा-वृंदावन में विकसित होने वाला यह सौभरि शहर वन देश का सबसे बड़ा शहर वन होगा।