पेरिस / नई दिल्ली । भारत और फ्रांस के बीच हुए राफेल लड़ाकू विमान सौदे में एक बार फिर भ्रष्टाचार (Corruption in Rafale Deal) का जिन्न बोतल से बाहर आ गया है। राफेल रक्षा सौदे को लेकर फ्रांस की एक वेबसाइट ने कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं। फ्रांस की एक मीडिया रिपोर्ट में दावा (Corruption in Rafale Deal) किया गया है कि राफेल बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी दसॉल्ट को भारत में एक बिचौलिये को करीब 8 करोड़ 62 लाख रुपये ‘बतौर गिफ्ट’ देने पड़े थे।
फ्रांस की वेबसाइट मीडियापार्ट ने रविवार को ‘राफेल पेपर्स’ नाम की रिपोर्ट जारी की, जिसमें राफेल सौदे को लेकर कई और खुलासे (Corruption in Rafale Deal) किए हैं। राफेल पेपर्स में दावा किया कि राफेल डील में दसॉल्ट एविएशन ने एक भारतीय बिचौलिये को राफेल सौदा के बदले करोड़ों (Corruption in Rafale Deal) रुपये दिए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय बिचौलिए को 10 लाख यूरो यानि करीब 8 करोड़ 62 लाख रुपये दिए गए हैं। इन पैसों को लेकर राफेल कंपनी की तरफ से फ्रेंच एंटी करप्शन अधिकारियों को कोई सही जबाव नहीं दिया गया है।
ऐसे हुआ राफेल सौदे में गड़बड़ी का खुलासा
इसका खुलासा तब हुआ, जब फ्रांस की एंटी करप्शन एजेंसी एएफए ने दसॉल्ट के खातों का ऑडिट किया। मीडियापार्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, खुलासा होने पर दसॉल्ट ने सफाई में कहा था कि इन पैसों का इस्तेमाल राफेल लड़ाकू विमान के 50 बड़े ‘मॉडल’ बनाने में हुआ था, लेकिन ऐसे कोई मॉडल बने ही नहीं थे।
रिपोर्ट में दावा किया गया कि ऑडिट में ये बात सामने आने के बाद भी एजेंसी ने कोई कार्रवाई नहीं की, जो फ्रांस के राजनेताओं और जस्टिस सिस्टम की मिलीभगत को भी दिखाता है। दरअसल, फ्रांस में 2018 में एक एजेंसी पैराक्वेट नेशनल फाइनेंस (पीएनएफ) ने इस डील में गड़बड़ी (Corruption in Rafale Deal) की बात कही थी, तभी ऑडिट करवाया गया और ये बातें सामने आई थीं।
दसाल्ट के पास नहीं हैं सवालों के जवाब
एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि दसॉल्ट ग्रुप की ओर से ‘गिफ्ट की गई राशि’ का बचाव किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय कंपनी Defsys Solutions के इनवॉयस से ये दिखाया गया कि जो 50 मॉडल तैयार हुए, उसकी आधी राशि उन्होंने दी थी। हर एक मॉडल की कीमत करीब 20 हजार यूरो से अधिक थी। हालांकि, इन सभी आरोपों का दसॉल्ट ग्रुप के पास कोई जवाब नहीं था और उसने ऑडिट एजेंसी के जवाब नहीं दिए। साथ ही दसॉल्ट ये नहीं बता सका कि आखिर उसने ये गिफ्ट की राशि किसे और क्यों दी थी?
कंपनी का विवादों से है पुराना नाता
एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि जिस भारतीय कंपनी का नाम इस रिपोर्ट में लिया गया है, उसका पहले भी विवादों से नाता रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी का मालिक पहले अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले के केस में जेल जा चुका है।
बता दें कि साल 2016 में भारत सरकार ने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए सौदा किया था। इनमें से एक दर्जन विमान भारत को मिल भी गए हैं और 2022 तक सभी विमान मिल जाएंगे। जब ये रक्षा सौदा हुआ था, तब भी भारत में काफी विवाद हुआ था। लोकसभा चुनाव से पहले राफेल लड़ाकू विमान खरीद में भ्रष्टाचार के मसले पर कांग्रेस ने मोदी सरकार को जमकर घेरा था।