देहरादून/ऋषिकेश। कोविड-19 मामलों में हो रही बेतहाशा वृद्धि ने मंगलवार को चैत्र पूर्णिमा के अवसर पर हरिद्वार महाकुंभ (Haridwar Maha Kumbh) के आखिरी शाही स्नान के उल्लास को फीका कर दिया जहां विभिन्न अखाड़ों के करीब 670 साधु-संतों ने हर की पौड़ी पर गंगा में डुबकी लगाई।
कोरोना वायरस संक्रमण के खौफ के चलते आखिरी शाही स्नान को प्रतीकात्मक रखा गया जो घाट पर एक दूसरे से दूरी बनाकर खडे साधुओं को देखकर साफ नजर आ रहा था। हर की पौड़ी का मुख्य स्नान घाट शाही स्नान के कारण केवल अखाड़े के साधुओं के लिए आरक्षित था।
विभिन्न अखाड़ों के 670 साधु-संतों ने लगाई गंगा में डुबकी
हरिद्वार की जोनल अधिकारी (अभिसूचना) सुनीता वर्मा ने बताया कि पहले जूना, अग्नि, आवाहन और किन्नर अखाड़ों के 600 साधुओं ने स्नान किया जिसके बाद निरंजनी और आनंद अखाड़ों के 70 साधुओं ने गंगा में डुबकी लगाई।
उन्होंने बताया कि हर की पौड़ी पर अभी शाम तक सात और अखाड़ों को गंगा स्नान करना है। 14 अप्रैल को मेष संक्रांति और बैसाखी पर हुए पिछले शाही स्नान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साधु-संतों से मंगलवार के आखिरी शाही स्नान को प्रतीकात्मक रखने का आग्रह किया था जिसे संतों ने स्वीकार कर लिया था।
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इससे पहले सुबह शाही स्नान शुरू होने से पूर्व कुंभ (Kumbh) मेलाधिकारी दीपक रावत, मेला पुलिस महानिरीक्षक संजय गुंज्याल और कुंभ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जन्मेजय खंडूरी ने हर की पौड़ी पर व्यवस्थाओं का जायजा लिया।
बाद में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए मेलाधिकारी दीपक रावत ने साधु संतों का आभार जताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री की अपील के बाद शाही स्नान को सीमित रखा। उत्तराखंड में लगातार कोविड मामलों में उछाल दर्ज किया जा रहा है। सोमवार को उत्तराखंड में 5,058 नए मामले सामने आए जिनमें से सर्वाधिक 2,034 मरीज देहरादून में तथा1,002 हरिद्वार में संक्रमित मिले। इसके अलावा, प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में 67 अन्य मरीजों ने महामारी से दम तोड़ दिया।